सुहाना सफर:दार्जिलिंग हिमालयी रेल
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Steam engine@Darjeeling Himalayan Railway |
हमारे देश का गौरव माना जाने वाला हिमालय भारत के मानचित्र पर उत्तर
से लेकर उत्तर पूर्व तक के अपने विशाल फैलाव में इतना कुछ समेटे हुए है कि जिसे
गहराई से जानने और समझने के लिए शायद एक जन्म भी कम पड़ेगा। हिमालय से मेरा लगाव
बार-बार मुझे अपनी ओर खींचता है। फिर वो शिवालिक हो, धौलाधार हो,
या फिर पीरपंजाल सब को फलांगती मैं
हिमालय की विविधता में और गहरे उतरती जाती हूं। इस बार दोस्तों हम उत्तर पूर्व में
फैले हिमालय के कुछ बेहतरीन नज़रों से रूबरू होंगे। तो फिर चलें पूरब में बसे
हिमालय का गेट कहे जाने वाले शहर न्यू जलपाईगुड़ी यहीं से हमारे सफर की शुरुवात
होगी। हम यहीं से अतीत की यादों को ताज़ा करेंगे और लेंगे मज़ा दार्जिलिंग हिमालयी
रेल यात्रा का।
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Steam Engine ready to take the tourist for Joy ride |
दार्जिलिंग हिमालयी रेल जिसे
लोग "टॉय ट्रेन" के नाम से ज़्यादा पहचानते है, भारत के राज्य पश्चिम बंगाल में न्यू
जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलने वाली एक छोटी लाइन की रेलवे प्रणाली है।
इसका निर्माण 1879 और 1881 के बीच किया गया था और इसकी कुल लंबाई 78 किलोमीटर है। इसकी ऊंचाई स्तर न्यू जलपाईगुड़ी
में लगभग 328 फीट से लेकर दार्जिलिंग में 7,218 फुट तक है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका
निर्माण अंग्रेज़ों ने सन् 1882 में ईस्ट इंडिया कंपनी के मज़दूरों को पहाड़ों तक
पहुंचाने के लिए किया था। तब का दार्जिलिंग शहर आज के दार्जिलिंग से बिलकुल जुदा
था तब वहां सिर्फ 1 मोनेस्ट्री, ओब्ज़र्वेटरी हिल, 20 झोंपड़ियां और लगभग 100 लोगों की आबादी थी। पर आज यह नज़ारा बिलकुल बदल चुका है। आज
दार्जिलिंग हिमालयी रेल को यूनेस्को द्वारा नीलगिरि पर्वतीय रेल और कालका शिमला
रेलवे के साथ भारत की पर्वतीय रेल के रूप में विश्व धरोहर स्थल के रूप में
सूचीबद्ध किया गया है।
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Darjeeling Himalayan Railway station |
यह एक अनोखा अनुभव है जिसको देखने प्रतिवर्ष लाखों लोग आते
हैं। सन्
2011 में
तिनधरिया और पगलाझोरा में भारी भूस्खलन के कारण डीएचआर ने टॉयट्रेन सेवा को
निलंबित कर दिया था। पहाड़ों में हुए उस भूस्खलन के कारण दार्जिलिंग हिमालयी रेल की
सेवा न्यू जलपाईगुड़ी से पिछले चार वर्षों से बाधित थी लेकिन इसी वर्ष दिसंबर में
इसका संचालन दुबारा शुरू कर दिया गया है। न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक की सेवा
आधुनिक डीजल इंजनों द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है। जबकि पुराने ब्रिटिश निर्मित बी
श्रेणी के भाप इंजन, डीएचआर 778 का संचालन दैनिक पर्यटन
गाड़ियों के लिए दैनिक कुर्सियांग-दार्जिलिंग वापसी सेवा और दार्जिलिंग से घूम
(भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन) के लिए किया जाता है। इस जॉय राइड का अनुभव लेने
के लिए आपको अपनी जेब थोड़ी ढ़ीली करनी होगी।
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Tindharya railway station |
सिलीगुड़ी को दार्जिलिंग की पहाड़ियों से जोड़ने वाली टॉयट्रेन सेवा
पर्यटकों के बीच मनोरम दृश्यों को लेकर काफी लोकप्रिय है इसलिए टिकट पहले से ही
बुक ज़रूर करवा लें।
दार्जिलिंग हिमालयी रेल की लम्बाई सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच 78 किमी (48 मील)
की है। जिसमें 13 स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी टाउन, सिलीगुड़ी जंक्शन, सुकना, रंगटंग, तिनधरिया, गयाबाड़ी, महानदी, कुर्सियांग, टुंग, सोनादा, घुम
और दार्जिलिंग पड़ते हैं। न्यू जलपाईगुड़ी के समतल रेलवे स्टेशन से शुरू हुई यह
यात्रा हर मोड़ पर कुछ अनोखा लिए हुए बैठी है। शहर के बीचों बीच से गुज़रती दो
डिब्बों की यह रेल गाड़ी लहराती हुई चाय बागानों के बीच से होकर महानंदा वाइल्ड
लाइफ सेंचुरी के भीतर जंगलों में प्रवेश करती है। इसकी रफ़्तार अधिकतम 20 किमी प्रति घंटा है, लेकिन आप चाहें तो दौड़ कर पकड़ सकते हैं। हरयाली
से भरे जंगलों को पार करती हुई यह पहाड़ों में बसे छोटे छोटे गांवों से होती हुई
आगे बढ़ती है। रास्ते में कई जगह रिवर्स लाइन भी पड़ती हैं। जहां रेलवे का एक
कर्मचारी घने जंगल में मुस्तैदी से ट्रेन के लिए लाइन बदलता है और एक बार फिर यह
सुहाना सफर शुरू हो जाता है। इन हसीन वादियों में देखने के लिए बहुत
कुछ है, जैसे
पहाड़ी झरने, वनस्पति, सुन्दर सजीले पक्षी और मुस्कुराते
पहाड़ी लोग।
यहां के लोग प्रकृति के साथ जीने की कला जानते हैं। इनके घर छोटे मगर
सुन्दर होते हैं। आसपास इतनी हरयाली और पेड़ पौधों के बावजूद इनके घर के आसपास
कितने ही सुन्दर फूलदार पौधे लगे होते हैं।
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Toy Train entering in the Mahananda Wildlife Sanctuary |
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In the middle of the jungle |
कितने ही लूप और ट्रैक बदलती हुई यह ट्रेन पहाड़ी गांव और क़स्बों से
मिलती मिलाती किसी पहाड़ी बुज़ुर्ग की तरह 6-7 घंटों में धीरे-धीरे सुस्ताती हुई दार्जिलिंग
पहुंचती है। इस रास्ते पर पड़ने वाले स्टेशन भी अंग्रेज़ों के ज़माने की याद ताज़ा
करवाते हैं। इस ट्रेक पर पड़ने वाला कुर्सियांग एक
बड़ा शहर है, यहीं
दार्जिलिंग से कुछ पहले घूम स्टेशन पड़ता है. भारत में सबसे ऊंचाई लगभग 7407 फीट पर
स्थित माना जाने वाला रेलवे स्टेशन- घूम यहीं स्थित है। इसे सबसे ऊंचाई पर स्थित
होने का गौरव प्राप्त है। यहाँ से आगे चलकर बतासिया लूप पड़ता है। यहां एक शहीद
स्मारक है,यहां
से पूरा दार्जिलिंग नज़र आता है। शाम होते होते यह टॉय ट्रेन आपको दार्जिलिंग
पहुंचा देती है। यह यात्रा दार्जिलिंग में समाप्त हो जाती है।
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Some useful information |
टॉय ट्रेन की इस अविस्मरणीय यात्रा करते हुए आप किसी और दौर में ही
पहुंच जाते हैं। जहां आजकल की ज़िन्दगी जैसी आपाधापी नहीं है। एक लय है हर चीज़ में, प्रकृति के साथ तारतम्य बिठाती हुई
ज़िन्दगी है,जो
इन पहाड़ी गांवों में बसती है, और फूलों-सी खिलती है।
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Darjeeling Himalayan Railway logo |
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा पर, तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
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KK@ Darjeeling Himalayan Railway |
एक शेर मेरे जैसे घुमक्कड़ों को समर्पित
"सैर कर दुनियां की ग़ाफ़िल ज़िन्दगानी फिर कहां,
ज़िन्दगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहां "
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी