पंजाब डायरी-दूसरा दिन
एक रंग होली का ऐसा भी-होला मुहल्ला, आनंदपुर साहिब-पंजाब, दूसरा दिन
Senior Nihang with twenty KG pagdi @Anandpur Sahib, Punjab |
गुरुबानी की मधुर आवाज़ और कोयल की कूक ने मेरी आँख खोली। आज होला मुहल्ला का दूसरा दिन है, हम बिना देर
किये हर्ष और उल्लास के इस माहौल में रंगने के लिए निकल गए। आनंदपुर साहिब में लोग पंजाब के कोने-कोने से आते हैं। इनमें
निहंग सेना आस-पास ही अपने डेरे तान कर रहती है। सब का
अलग-अलग डेरा। अगर आप निहंग लोगों के जीवन को नज़दीक से देखना चाहते हैं तो उनके
डेरों पर सुबह जल्दी जाएँ। आनंदपुर में घूमने का सबसे अच्छा साधन है,पैदल चलना। इसलिए अपनी कार को साथ न लें, यहाँ
भले ही बहुत चलना पड़ेगा लेकिन कार लेने से आप जाम में ही फसे रह जाएंगे और कुछ भी नहीं देख पाएंगे।
डेरे देखने के लिए आपको आनंदपुर साहिब रेलवे स्टेशन
की ओर रुख़ करना होगा। यह डेरे पश्चिम दिशा में सतलुज के किनारों तक फैले होते हैं।
यहाँ का नज़ारा देखने लायक होता है, जहाँ तक नज़र जाती
है लोग अपने तम्बू गाड़े मेले का आनंद ले रहे होते हैं। यहाँ तक लोग ट्रैकटर और
ट्रकों में आते हैं और साथ ही अपने घोड़े भी लाते हैं। तंदरुस्त चमकदार घोड़े अपने
मालिक को ख़ूब पहचानते हैं। जब स्टेडियम में सभी डेरेदारों का जुलुस निकलता है तब
यह घुड़सवार अपनी कल का प्रदर्शन करते हैं।
जितना चुस्त घोड़ा उतना ही फुर्तीला उसका सवार। एक अलग ही तारतम्य होता है दोनों के बीच। स्टेडियम में जुलूस के दौरान घुड़सवारों की रेस भी होती है जिसमे एक सवार, एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार-चार घोड़ों को क़ाबू किये अपनी कला का प्रदर्शन करता है।
जितना चुस्त घोड़ा उतना ही फुर्तीला उसका सवार। एक अलग ही तारतम्य होता है दोनों के बीच। स्टेडियम में जुलूस के दौरान घुड़सवारों की रेस भी होती है जिसमे एक सवार, एक नहीं, दो नहीं बल्कि चार-चार घोड़ों को क़ाबू किये अपनी कला का प्रदर्शन करता है।
डेरों में बड़ी गहमा-गहमी मची हुई है सब लोग
स्टेडियम में जुलूस का हिस्सा बनने के लिए तैयार हो रहे हैं।
कोई अपनी पग ठीक कर रहा है, कोई नन्हें सरदार की पगड़ी बांध रहा है। कोई बीस किलो की केसरिया और नीली दस्तार को आभूषणों से सजा रहा है। तो कोई भांग घोंट रहा है।
इन सभी के बीच एक छोटा नन्हा सरदार किसी योद्धा की तरह जुलूस में शामिल होने के लिए तैयार हो रहा है, सीने पर लोहे की छोटे-छोटे छल्लों से बना सुरक्षाकवच, सिर पर लोहे का वज़नी हेलमेटनुमा टोप, हाथ में शाही तलवार और होंटों पर चंचल मुस्कान। इस वीर सरदार के सदक़े, उसके हौंसले के सदक़े।
कोई अपनी पग ठीक कर रहा है, कोई नन्हें सरदार की पगड़ी बांध रहा है। कोई बीस किलो की केसरिया और नीली दस्तार को आभूषणों से सजा रहा है। तो कोई भांग घोंट रहा है।
इन सभी के बीच एक छोटा नन्हा सरदार किसी योद्धा की तरह जुलूस में शामिल होने के लिए तैयार हो रहा है, सीने पर लोहे की छोटे-छोटे छल्लों से बना सुरक्षाकवच, सिर पर लोहे का वज़नी हेलमेटनुमा टोप, हाथ में शाही तलवार और होंटों पर चंचल मुस्कान। इस वीर सरदार के सदक़े, उसके हौंसले के सदक़े।
यह है निहंगसेना- "निहंग" यानि अहंकार से परे। शक्ति और साहस का ऐसा संगम जो लोगों की रक्षा के लिए
बनाया गया था। और होला मुहल्ला एक ऐसा पर्व है जहाँ सारे डेरेदार अपनी शक्ति का
प्रदर्शन करते हैं। सजधज कर यह निहंग सेना जुलूस में शामिल हो स्टेडियम की ओर बढ़ी
चली जा रही है। आनंदपुर साहिब का स्टेडियम रंगीन पगड़ियों से भरा पड़ा है। एक ओर
ऊँचा मंच अतिथियों के लिए बनाया गया है।
हर आते हुए दल के साथ माहौल में जोश और उत्साह बढ़ रहा है। सभी डेरेदार स्टेडियम में दाखिल हो रहे हैं। यह लोग ग्रुप में आते हैं और अपनी-अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन करते हैं। इस ग्रुप में हर उम्र के लोग होते हैं, बुज़ुर्ग से लेकर छोटे बच्चों तक। इनके युद्धकला के करतब देख कर आप भी दांतों तले ऊँगली दबा जाएंगे। खुली जीपों पर सवार दल मुनादी की थाप पर मंच के आगे से गुज़रते जाते हैं। हथियारों का ऐसा खुला प्रदर्शन केवल आनंदपुर साहिब में ही किया जा सकता है।
Procession @Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang with advance weapon @Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang with advance weapon @Anandpur Sahib, Punjab |
Senior Nihang with twenty KG pagdi @Anandpur Sahib, Punjab |
हर आते हुए दल के साथ माहौल में जोश और उत्साह बढ़ रहा है। सभी डेरेदार स्टेडियम में दाखिल हो रहे हैं। यह लोग ग्रुप में आते हैं और अपनी-अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन करते हैं। इस ग्रुप में हर उम्र के लोग होते हैं, बुज़ुर्ग से लेकर छोटे बच्चों तक। इनके युद्धकला के करतब देख कर आप भी दांतों तले ऊँगली दबा जाएंगे। खुली जीपों पर सवार दल मुनादी की थाप पर मंच के आगे से गुज़रते जाते हैं। हथियारों का ऐसा खुला प्रदर्शन केवल आनंदपुर साहिब में ही किया जा सकता है।
Senior Nihang showing power of worrier art@Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang @Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang showing power of worrier art@Anandpur Sahib, Punjab |
Young Nihang showing power of worrier art@Anandpur Sahib, Punjab |
Procession@Anandpur Sahib, Punjab |
यह पर्व है शक्ति और साहस का, वीरों
के बलिदान का, अपनी मातृभूमि की रक्षा का।
देश में होली तो सभी जगह मनाई जाती है पर ऐसी अनोखी
होली केवल आनंदपुर साहिब में ही देखने को मिलती है।
KK @Anandpur Sahib, Punjab |
यह था ब्यौरा दूसरे दिन का, अभी बहुत कुछ बाक़ी है। आप ऐसे ही बने
रहिये मेरे साथ। पंजाब डायरी के पन्नों से कुछ और क़िस्से आपके साथ साझा करुँगी
अगली पोस्ट में।
तब तक खुश रहिये और घूमते रहिये
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
Beautiful post. I loved the experience of Hola Mohalla.
ReplyDeleteI see some issue with photographs shown. Some of the photographs are going outside my screen. I would suggest to keep longer edge of all photographs not more than horizontal display space of blog.
Brilliant Brilliant write up and even Brilliant pictures. I am in love with your blog now (and very ashamed that I am typing in English and not Hindi !)
ReplyDeleteMera rangla punjab
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