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कुछ पंक्तियां इस ब्लॉग के बारे में :

प्रिय पाठक,
हिन्दी के प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग पर आपका स्वागत है.….
ऐसा नहीं है कि हिन्दी में अच्छे ब्लॉग लिखने वालों की कमी है। हिन्दी में लोग एक से एक बेहतरीन ब्लॉग्स लिख रहे हैं। पर एक चीज़ की कमी अक्सर खलती है। जहां ब्लॉग पर अच्छा कन्टेन्ट है वहां एक अच्छी क्वालिटी की तस्वीर नहीं मिलती और जिन ब्लॉग्स पर अच्छी तस्वीरें होती हैं वहां कन्टेन्ट उतना अच्छा नहीं होता। मैं साहित्यकार के अलावा एक ट्रेवल राइटर और फोटोग्राफर हूँ। मैंने अपने इस ब्लॉग के ज़रिये इस दूरी को पाटने का प्रयास किया है। मेरा यह ब्लॉग हिन्दी का प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग है। जहाँ आपको मिलेगी भारत के कुछ अनछुए पहलुओं, अनदेखे स्थानों की सविस्तार जानकारी और उन स्थानों से जुड़ी कुछ बेहतरीन तस्वीरें।
उम्मीद है, आप को मेरा यह प्रयास पसंद आएगा। आपकी प्रतिक्रियाओं की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
आपके कमेन्ट मुझे इस ब्लॉग को और बेहतर बनाने की प्रेरणा देंगे।

मंगल मृदुल कामनाओं सहित
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

Thursday, 12 March 2015

देव दिवाली-बनारस

देव-दिवाली




भारत में दीपावली सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। वैसे तो देश भर में दिवाली उल्लाहस के साथ मनाई जाती है.ऐसा माना जाता है कि दिवाली के साथ उत्सवों और ख़ुशियों का आगमन हो गया है। जब गुलाबी सर्दी की आहट होती है। दिवाली के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन बनारस में देव दिवाली मनाई जाती है। यह पर्व है जनमानस का, उसके हर्ष और उल्लास का।


यूं  तो काशी  देश की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। यह स्थान प्रसिद्ध है सैंकड़ों  मंदिरों, घाटों, पुरातन परंपराओं की धरती और जीवनदायनी माँ गंगा के लिए।  बनारस की गिनती विश्व के उन प्राचीनतम जीवित शहरों में होती है जोकि अनन्त काल से धरती पर जीवित हैं.शायद इसीलिए इस पावन धरती पर अनेक पर्व और उत्सव वर्ष भर मनाए  जाते हैं।

Lighting up the light@Dev Diwali Celebration 

 इन उत्सवों के  प्रति जनसामान्य में एक अद्भुत आकर्षण और गहन आस्था  है। बनारस की पर्व परंपरा की ऐसी ही एक कड़ी है। यहां कादेव दीपावलीपर्व है। यहाँ के लोग मानते हैं कि जब धरती पर रहने वाले लोग दीपावली मना लेते हैं उसके  एक पक्ष बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं की दीपावली होती है। दीपावली मनाने के लिए देवता स्वर्ग से गंगा के पावन घाटों पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं। यह पर्व बनारस की प्राचीन संस्कृति का खास अंग है।

Dev Diwali Celebration 

यह पर्व है बाबा विश्वनाथ की काशी नगरी में जन्मे हर व्यक्ति का। यहाँ की परम्परा है कि देव दिवाली पर शहर का हर व्यक्ति, समूह, संगठन, संस्था के लोग अपनी आस्था और सामर्थ  अनुसार गंगा के घाटों को दीपकों से सजाने आता है। पूरे शहर में जैसे जनसैलाब उमड़ पड़ता है।

Evening boat ride

दिन भर लोग बाजार से दीपक आदि की खरीदारी करते हैं और शाम होते होते गंगा घाटों की ओर चल पड़ते हैं। लोकल प्रशासन और उत्तर प्रदेश टूटरिज़्म डिपार्टमेन्ट मिलकर इस पर्व का आयोजन गंगा महोत्सव के रूप में एक खास उत्सव के तौर पर करते हैं। यह महोत्सव पांच दिनों तक चलता है।

Dev Diwali Celebration 

इस पांच दिवसीय महोत्सव के दौरान यहां अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। उनमें शास्त्रीय संगीत की अनेक नामचीन हस्तियां अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से भाव-विभोर कर देती हैं। ऐसे कार्यक्रमों में विदेशी सैलानियों की संख्या भी बहुत होती है। गंगा महोत्सव पर लगने वाले शिल्प मेले में सैलानी उत्तर प्रदेश की लोक शिल्प कलाओं से रू--रू होने के अलावा मनपसंद शिल्प खरीदते भी हैं।

Assi Ghat

 गंगा महोत्सव के अन्तिम दिन  कार्तिक पूर्णिमा पर उत्सव का भव्य रूप देखने को मिलता है, जब गंगा के पवित्र घाटों पर श्रद्धालुओं द्वारा अनगिनत दीपक जलाए जाते हैं, जो एक अलौकिक दृश्य होता है। यहाँ के स्थानीय लोग और नगर निगम मिलकर कई दिन पहले से ही घाटों की साफ सफाई करवाते हैं और देव दिवाली वाले दिन लोग बढ़-चढ़ कर इन घाटों पर अनगिनत दीपक जलाते हैं। सभी घाटों पर महिलाऐं पूजा अर्चना में लगी हुई थीं.


दोपहर बाद से दीपक लगाना शुरू किया जाता है और शाम होने तक सारे घाट दीपकों से भर जाते हैं। इस अदभुत दृश्य को देखने लोग दूर दूर से आते हैं। देशी विदेशी सैलानी नौका विहार से इस पूरे द्रश्य का अवलोकन करते हैं। 


दीप श्रंखलाओं को देख लगता है मानो आसमान के टिमटिमाते तारे धरती पर उतर आए हों। घाटों पर शाम से ही देखने वालों की भीड़ जुट जाती है और रात होते ही बहुत भीड़ हो जाती है। लोग गंगा में फूल और दीपक विसर्जित करते हैं।


Rituals 

Flowers

देव दिवाली का पूरा मज़ा लेने के लिए आप दुपहर बाद ही अस्सी घाट पर पहुँच जाएं। अस्सी घाट गंगा घाटों में सबसे आखिर में स्थित है। गंगा सेवा समिति इस घाट पर भी पूजा की व्यवस्था करती है। अगर आप नौकाविहार करते हुए देव दिवाली देखना चाहते हैं तो आपको बोट यहीं से मिलेगी।


Boat ride @ Dev Diwali

अस्सी घाट से लेकर हरिश्चन्द्र घाट, दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्रप्रसाद घाट जहाँ तक नज़र जाए घाट दीपकों की रौशनी से भर जाते हैं। यहाँ 80 से अधिक घाट मौजूद हैं। केदार घाट पर एक प्रसिद्ध कुण्ड है. ऐसी मान्यता है की यहाँ पर संतान के लिए मन्नत मांगने पर पूरी होती है। यहाँ जितने भी घाट हैं सबके साथ कुछ ऐतिहासिक जुड़ाव है। अधिकतर घाट राजाओं द्वारा बनवाए गए थे। जैसे जानकी घाट सुरसन्द एस्टेट की रानी ने, पंचकोट घाट मध्यप्रदेश के राजा ने और मनमंदिर घाट जयपुर के राजा जय सिंह बनवाया था।

Kedar Ghat

शाम गहराते ही राजेन्द्रप्रसाद घाट पर महाआरती प्रारम्भ हुई। लाइन से लगे पुजारी हाथों में बड़ा सा दीपदान लिए माँ गंगा की आरती में तल्लीन थे.धूप-लोबान की सुगन्ध से घाट महक उठे। 

Maha Aarti@Ganga Ghats

मां गंगा की महाआरती में पुरोहितों  के मुख से मंत्र फूटे। हर हर गंगे का घोष नाद चारों दिशाओं में गुंजायमान था। ऐसा अलौकिक द्रश्य कि आँखों में न समाए। शंखनाद, घंटा-घडि़याल और डमरू की टनकार ऐसी थी मानो स्वर्ग में विराजे देव स्वम पधार रहे हों। 


Deepak

जिस प्रकार  मैसूर का दशहरा प्रसिद्ध है और लोग दूर दूर से देखने आते हैं उसी तरह देव दिवाली भी विश्व प्रसिद्ध है इसे देखने लोग विदेशों से आते हैं. जीवन में एक बार देव दिवाली देखने ज़रूर जाएं। क्योंकि यह पर्व हिन्दू कैलेंडर की तिथि अनुसार मनाया जाता है इसलिए जाने से पहले डेट्स  एक बार चैक  कर लें.
Maha Aarti@Ganga Ghats

Maha Aarti@Ganga Ghat

मेरी सलाह: अगर आप बोट में बैठ कर देव दिवाली कैप्चर करना चाहते हैं तो आपको अच्छे  शॉट्स नहीं मिलेंगे क्योंकि बोट घाटों से बहुत दूरी पर होती है और लगातार हिल रही होती है।
यह पूरा कार्यक्रम देर रात तक चलता है। रात तक मौसम थोड़ा ठंडा हो जाता है। इसलिए सर्दी के इन्तिज़ाम के साथ जाएं।


Map of Ganga Ghats

फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा परतब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त


डा० कायनात क़ाज़ी



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