Himalayan Epressway |
किसी ने सच ही ही कहा है कि पहाड़ों की असली
खूबसूरती तो मानसून आने के बाद ही निकल कर आती है। वैसे तो साल भर पहाड़ों पर
वनस्पति नज़र आती है पर बारिश के बाद लगता है जैसे किसी ने दूर दूर तक फैले पहाड़ों
को हरी मख़मल से ढंक दिया हो। जब पूरी वादी पाइन
के फूलों की खुशबू से महक उठती है और ठंडी ठंडी हवाएं मौसम को और सुहाना
बना देती हैं. ऐसे में मौसम भी पल-पल रंग बदलता दिखाई देता है। अचानक से घिर आए बादल बरबस ही
बरस पड़ते हैं और साथ ही धूप भी निकल आती है। धूप
और बारिश का ऐसा आँख मिचौली का खेल यहाँ चलता ही रहता है। ऐसी अटखेलियाँ आकाश
में इन्द्रधनुष उकेर देती है। शिवालिक पर्वतश्रृंखला पर पाइन और ओक के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं।
पाइन के फूलों से टपकता पानी जगह जगह बने
छोटे पहाड़ी घरों की टीन की लाल छतों पर गिरता है तो लगता है कोई जलतरंग बजा रहा
हो। वादी में यहाँ वहां घूमते बादल के टुकड़े रुई के फायों की तरहां उड़ते फिरते हैं। धुला निथरा आकाश और दूर तक फैली शिवालिक की पहाड़ियां,
अगर आप नेचर लवर
हैं तो आपको यह जगह ज़रूर पसन्द आएगी। यह नज़ारा है हिमाचल के सोलन ज़िले के परवाणू का।
Driving through Himalayan Expressway |
आज से कुछ सालों तक यह एक शांत पहाड़ी गांव था जहाँ इक्का दुक्का पहाड़ी घर
और सीढ़ियोंदार खेत हुआ करते थे। पर आज यह
जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए पसंदीदा सैरगाह है। अगर आप शार्ट वीकेंड प्लान कर
रहे हैं तो यहाँ ज़रूर जाएं। चण्डीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर
राष्ट्रीय राजमार्ग-22 से सटा हुआ ये छोटा सा पहाड़ी क़स्बा सोलन जिले में पड़ता
है।यहाँ तक पहुँचने का रास्ता बेहद सुन्दर है। इसे हिमालयन एक्सप्रेस वे भी कहा जाता है। यह हरयाणा राज्य को हिमाचल और पंजाब से जोड़ता है। इस एक्सप्रेस वे पर लॉन्ग ड्राइव का अपना ही मज़ा है।
Apple orchid |
यहाँ आप सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से भी पहुँच सकते हैं। यहाँ के लिए मीटर
गेज पर चलने वाली कालका-शिमला टॉय ट्रैन
द्वारा भी पहुंचा जा सकता है परवाणू से नज़दीकी रेलवे स्टेशन टकसाल है। यह एक रूटीन
टूरिस्ट स्पॉट नहीं है। अगर आप ट्रैकिंग का शौक़
रखते हैं तो 4 किलोमीटर में फैली
शिवालिक पहाड़ियां ट्रेक्किंग के लिए बहुत अच्छी हैं। पाइन और ओक का जंगल प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ
है। यहाँ फलों के बागान हैं। इस छोटे से क़स्बे का मुख्य व्यवसाय फल उगाना और उनसे जुड़े उत्पादनों का व्यवसाय करना है
जैसे -जैम, जैली,पैक्ड फ्रूट्स आदि।
cable car@Timber trail |
यहाँ
ठहरने के अनेक विकल्प उपलब्ध है। यहाँ का मुख्य आकर्षण केबल कार है जिसके ज़रिये आप
बेस से ऊपर मुख्य पहाड़ी पर बने टिंबर ट्रेल रिसोर्ट तक जाते हैं। इस ट्राली में
सैर करते हुए आप नीचे फैली वैली का नज़ारा देख सकते हैं।
Cable car@Timber Trail Resort |
जहाँ पाइन में पेड़ों के
बीच झरना गिरता हुआ दीखता है, वहीँ बीच में एक नदी भी
दिखाई देती है, जगह-जगह सीढ़ीनुमा धान
के खेत इंसानों की उपस्थिति दर्ज करते हुए दिख जाए हैं.वही दूर छोटे छोटे पहाड़ी घर
जिनकी छतें टीन की बनी होती हैं। रंग बिरंगे ये झोंपडी नुमा घर किसी फैरीटेल का हिस्सा लगते हैं।
Rainbow from Cable car |
चोटी पर पहुँच कर आप टिंबर ट्रेल रिसोर्ट के रेस्टोरेन्ट में बैठ कर स्वादिष्ट
भोजन का मज़ा ले सकते हैं। यहाँ ठहरने की भी व्यवस्था है पर उसके लिए आपको पहले से
बुकिंग करनी होगी। यहाँ मोक्ष नाम का एक लग्ज़री स्पा भी है जहाँ पर स्पा के अलावा
स्टे भी किया जा सकता है। यहाँ आकर आप
प्रकृति की गोद में रिलेक्स कर सकते हैं
और सनराइज़ व सनसेट का मज़ा ले सकते हैं। परवाणु के नज़दीक ही 37 किलोमीटर दूर कसौली है जोकि अपनी कोलोनियल
टाइम की खूबसूरती के लिए मशहूर है। जैसे चर्च, लोवर पाइन मॉल
आदि।
कसौली के अलावा परवाणू से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पिंजौर जोकि
अपने मुग़ल स्टाइल गार्डन के लिए मशहूर है। एक वीकेंड में ये सभी स्थान मज़े से कवर किये जा सकते हैं।
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए
शहर की यात्रा पर,
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
अभी अभी मैंने भी कम्पलीट की परवाणू की यात्रा .....बहुत ही उम्दा लेखन शैली
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