एक मुलाक़ात सांस्कृतिक विरासत से Part-2
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
आज मैं वीथी संकुल देखने एक बार फिर पहुँच गई हूँ इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय। विथी संकुल एक भव्य भवन है. जहाँ तेरह कला दीर्घा हैं.जिसका स्थापत्य अनूठा है। वीथी संकुल परिसर मे भारत के सबसे बडे 1001 बातियों वाले विशाल दीप-माला को रखा गया है. यहाँ वर्ष भर होने वाले संस्कृतिक कार्यक्रमों का उद्घाटन इसी बड़े से दीपक को प्रज्वलित करके किया जाता है. यह संग्रहालय ढालदार भूमि पर 10 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला है। प्रथम कक्ष में मानव जीवन के विकास की कहानी को चरणबद्ध रूप से दर्शाने के लिए माडलों व स्केचों का सहारा लिया गया है। देश के विभिन्न भागों से जुटाए गए साक्ष्यों को भी यहाँ रखा गया है।
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
मानव विकास और प्रगेतिहासिक काल के दृश्यों को यहाँ सॅंजो कर रखा गया है.आदिमनव के जीवन का चित्रण मॉडेल द्वारा संझाया गया है. इस दीर्घा को पार करके मैं अंदर की दीर्घा मे प्रवेश करती हूँ.
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
यहाँ मुझे विभिन्न समाजों के जनजीवन की बहुरंगी झलक तो देखने को मिलती है साथ ही भारत भर मे फेले हुए अलग-अलग क्षेत्रों के परिधान, साजसज्जा, आभूषण, संगीत के उपकरण, पारंपरिक कला, हस्तशिल्प, शिकार, मछली पकङने के उपकरण, कृषि उपकरण, औजार व तकनीकी, पशुपालन, कताई व बुनाई के उपकरण, मनोरंजन, उनकी कला से जुडे नमूने से भी परिचय मिलता है। मैं एक दीर्घा से गुज़रती हुई दूसरी दीर्घा मे पहुँच जाती हूँ.
एक के बाद एक देखने लायक वस्तुएँ, जिन्हें देखते हुए यह अहसास होता है की इन्हे यहाँ कितने जतन करके सॅंजो कर रखा गया है. कहीं कश्मीरी जनजातियों के घर की झलक तो कहीं उड़ीसा के लोगों का जीवन दर्शन, कहीं कोस्टल गाँवों की छाया तो कहीं कुमांऊ लोगों के बरतन. सब कुछ सहेजा हुआ.
मैं टहलते टहलते एक दीर्घा में पहुँची तो वहाँ दीवारों पर मधुबनी आर्ट और बिहार के घरों की रसोई सजी हुई थी. मिट्टी का चूल्हा और उस मिट्टी से लिपि हुई दीवारें और फर्श..एक दीर्घा मे गई तो लगा की चेट्टीनॉड संप्रदाय जोकि दक्षिण मे पाया जाता है के किसी पारंपरिक घर मे आ गई हूँ.
लकड़ी के बड़े-बड़े खंबे और उन पर नक्कारशी.एक वीथिका पूरी की पूरी मुखोटों से भरी हुई थी. हमारे देश मे आमतौर पर सभी संप्रदायों के धार्मिक अनुष्ठानों मे मुखोटों का प्रयोग होता रहा है, फिर चाहे व लद्दाख की मोनेस्ट्री मे होने वाल उत्सव हों या फिर दक्षिण मे मनाए जाने वाले पर्व हों. इस दीर्घा मे देश के कोने कोने से जुटाए गए मुखोटों को रखा गया है.
Warly Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
एक के बाद एक देखने लायक वस्तुएँ, जिन्हें देखते हुए यह अहसास होता है की इन्हे यहाँ कितने जतन करके सॅंजो कर रखा गया है. कहीं कश्मीरी जनजातियों के घर की झलक तो कहीं उड़ीसा के लोगों का जीवन दर्शन, कहीं कोस्टल गाँवों की छाया तो कहीं कुमांऊ लोगों के बरतन. सब कुछ सहेजा हुआ.
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
मैं टहलते टहलते एक दीर्घा में पहुँची तो वहाँ दीवारों पर मधुबनी आर्ट और बिहार के घरों की रसोई सजी हुई थी. मिट्टी का चूल्हा और उस मिट्टी से लिपि हुई दीवारें और फर्श..एक दीर्घा मे गई तो लगा की चेट्टीनॉड संप्रदाय जोकि दक्षिण मे पाया जाता है के किसी पारंपरिक घर मे आ गई हूँ.
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
लकड़ी के बड़े-बड़े खंबे और उन पर नक्कारशी.एक वीथिका पूरी की पूरी मुखोटों से भरी हुई थी. हमारे देश मे आमतौर पर सभी संप्रदायों के धार्मिक अनुष्ठानों मे मुखोटों का प्रयोग होता रहा है, फिर चाहे व लद्दाख की मोनेस्ट्री मे होने वाल उत्सव हों या फिर दक्षिण मे मनाए जाने वाले पर्व हों. इस दीर्घा मे देश के कोने कोने से जुटाए गए मुखोटों को रखा गया है.
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
हैरानी की बात यह है की इस संग्रहालय की स्थापना भोपाल मे ना होकर दिल्ली मे हुई थी. यह संग्रहालय 21 मार्च 1977 में नई दिल्ली के बहावलपुर हाउस में खोला गया था किंतु दिल्ली में पर्याप्त जमीन व स्थान के अभाव में इसे भोपाल लाया गया।
चूँकि श्यामला पहाडी के एक भाग में पहले से ही प्रागैतिहासिक काल की प्रस्तर पर बनी कुछ कलाकृतियाँ थीं, इसलिए इसे यहीं स्थापित करने का निर्णय लिया गया। मुझे विथी संकुल देखते हुए बाकी का आधा दिन निकल गया. लेकिन मानव संग्रहालय का आधे से ज़्यादा हिस्सा देखना बाक़ी था। अभी तो कई क्षेत्र बाकी हैं जैसे कोस्टल विलेज, डेज़र्ट विलेज, हिमालयन विलेज और पत्थर पर बनी प्रगैतिहासिक काल के चित्र. इसके लिए मुझे कल फिर आना होगा.यह संग्रहालय सोमवार और राष्ट्रीय अवकाश को बंद रहता है.
Tribal Life@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
चूँकि श्यामला पहाडी के एक भाग में पहले से ही प्रागैतिहासिक काल की प्रस्तर पर बनी कुछ कलाकृतियाँ थीं, इसलिए इसे यहीं स्थापित करने का निर्णय लिया गया। मुझे विथी संकुल देखते हुए बाकी का आधा दिन निकल गया. लेकिन मानव संग्रहालय का आधे से ज़्यादा हिस्सा देखना बाक़ी था। अभी तो कई क्षेत्र बाकी हैं जैसे कोस्टल विलेज, डेज़र्ट विलेज, हिमालयन विलेज और पत्थर पर बनी प्रगैतिहासिक काल के चित्र. इसके लिए मुझे कल फिर आना होगा.यह संग्रहालय सोमवार और राष्ट्रीय अवकाश को बंद रहता है.
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय को इस उद्देश्य के साथ खोला गया है ताकि लोग मानव जाति के इतिहास के बारे में जान सकें और मानव विज्ञान के बारे में शिक्षित हो सकें। इसी उद्देश्य से यह संग्रहालय वर्ष भर आउटडोर और इनडोर प्रर्दशनी का आयोजन करवाता रहता है। इस संग्रहालय में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रर्दशनी को लगाया जाता है जो देश की संस्कृति के बारे में गहरी अंर्तदृष्टि प्रदान करता है। मेरे हिसाब से अपने बच्चों को यहाँ एक बार ज़रूर लेकर आएं। हो सकता है यहाँ लाकर आप इन गर्मियों की छुट्टी के बहाने अपने बच्चों को ज्ञान के भंडार से रूबरू करवा सकें। बरसात के आते ही यह जगह हरयाली से भर जाती है। यहाँ आकर आप एक पूरे दो दिन की पिकनिक भी मना सकते हैं। यहाँ इतना कुछ देखने को है कि आपका समय ख़त्म हो जाएगा पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में देखने के लिए कुछ न कुछ ज़रूर रह जाएगा। जिसे देखने आपको भोपाल एक बार फिर आना पड़ेगा।
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
Madhubani Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
|
Tribal Art@Indira Gandhi Rashtriya Manav SangrahalayaIgrms Bhopal |
कैसे जाएं
वायु मार्ग- भोपाल एयरपोर्ट सिटी से 12 किमी. की दूरी पर है। दिल्ली, मुंबई और इंदौर से यहां के लिए इंडियन एयरलाइन्स की नियमित फ्लाइटें हैं। ग्वालियर से यहां के लिए सप्ताह में चार दिन फ्लाइट्स हैं।
रेल मार्ग- भोपाल का रेलवे स्टेशन देश के विविध रेलवे स्टेशनों से जुडा हुआ है। यह रेलवे स्टेशन दिल्ली-चैन्नई रूट पर पडता है। शताब्दी एक्सप्रेस भोपाल को दिल्ली से सीधा जोडती है।भोपाल एक्सप्रेस भी दिल्ली से भोपाल जाने के लिए रात भर का समय लेती है. साथ ही यह शहर मुम्बई, आगरा, ग्वालियर, झांसी, उज्जैन आदि शहरों से अनेक रेलगाडियों के माध्यम से जुडा हुआ है।
सडक मार्ग- सांची, इंदौर, उज्जैन, खजुराहो, पंचमढी, जबलपुर आदि शहरों से आसानी से सडक मार्ग से भोपाल पहुंचा जा सकता है। मध्य प्रदेश और पडोसी राज्यों के अनेक शहरों से भोपाल के लिए नियमित बसें चलती हैं।
कब जाएं- नवंबर से फरवरी। वैसे भोपाल घूमने के लिए गर्मियों के दो महीने छोड़ कर कभी भी जाया जा सकता है। मानसून के आते ही भोपाल हरयाली से भर जाता है।
Map indira gandhi rashtriya manav sangrahalaya,Bhopal |
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा पर,
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
No comments:
Post a Comment