वास्तुकला
ताज महल मुगल साम्राज्य की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु
शैली फारसी, तुर्क, भारतीय एवं इस्लामिक वास्तुकला के घटकों का अनोखा मेल प्रस्तुत
करती है।मुग़ल मध्य एशिया से भारत आए थे ,और
वह जहाँ जहाँ से होकर गुज़रे उन स्थानों की
उन्होंने खुली अपनाया। इसीलिए मुग़ल वास्तुकला इस्लामिक वास्तु
शैली, तुर्की, फ़ारसी व भारतीय राजपुताना वास्तु शैली का मिला जुला रूप है।
सन् 1983 में, युनेस्को ने ताज महल को विश्व धरोहर घोषित किया। इसके
साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसित, अत्युत्तम मानवी
कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित
किया गया है।
उद्यान (चारबाग)
ताज महल के परिसर में बने उद्यान पवित्र कुरान
में वर्णित स्वर्ग (जन्नत) के स्वरुप से प्रेरणा लिए हुए हैं। पवित्र कुरान में
जन्नत के बागों का ज़िक्र कुछ इसी तरह दिया.
खूबसूरत बाग जिनके बीच से सफ पानी की
नहरें बह रही होंगी. शाहजहाँ को बागों से बहुत मुहब्बत थी इसी लिए ताज महल के
चारों ओर बाग बनवाए.नदी के उत्तरी छोर पर महताब बाग बनवाया.ताज महल को देखने के
लिए लोग महताब बाग खास तौर पर जाते हैं.
मुख्य ईमारत
क्यूंकि ताज महल हुमायूँ के मक़बरे के
काफी बाद में बना था इसलिए इस ईमारत के आधार
मंज़िल दिल्ली स्थित हुमायूँ के मक़बरे से प्रभावित है। एक वर्गाकार नींव की आधार शिला
पर बना सफ़ेद संगमर्मर का मकबरा ताज महल का केन्द्र बिंदु मन
जाता है। इसका मूल-आधार एक विशाल बहु-कक्षीय संरचना है। यह प्रधान कक्ष घनाकार है, जिसका प्रत्येक किनारा लगभग 55 मीटर है।
ताज
देखो वो नया ही लगता है.यह दुनियां
की सबसे ज़्यादा पहचानी जाने ईमारत है। इसे
शाहजहाँ ने अपनी तीसरी पत्नी मुमताज महल
की याद में मृत्योपरांत बनवाया था । इसका सफ़ेद सफ़ेद संगमर्मर का गुम्बद वाला भाग, इस इमारत का मुख्य परिचित भाग है, वहीं इसकी पूर्ण इमारत समूह बाग, बगीचों सहित 22.44 हेक्टेयर के दायरे
में फैला है.
इसका निर्माण आरंभ हुआ 1632 CE में, (1041
हिजरी अनुसार), यमुना
नदी के दक्षिणी किनारे पर हुआ।उस्ताद अहमद लाहौरी
ताज महल के प्रधान वास्तुकार माने जाते हैं ।
मकबरे पर सबसे ऊपर संगमर्मर का गुम्बद बना हुआ है ,जोकि
इसका सर्वाधिक शानदार भाग है। इसकी ऊँचाई लगभग इमारत के आधार के बराबर, 35 मीटर है, और यह एक 7 मीटर ऊँचे बेलनाकार आधार पर
स्थित है।
गुम्बद के आकार को और सुंन्दर दिखाने
के लिए चार किनारों पर स्थित चार छोटी
गुम्बदाकारी छतरियों बनाई गई है।मेन
चबूतरे के चारों कोनों पर चार विशाल
मीनारें बनाई गई हैं। यह प्रत्येक 40 मीटर ऊँची है। यह मीनारें
ताजमहल की बनावट को चारों दिशाओं से समानता का आभास प्रस्तुत करती हैं ।
मस्जिद
यहाँ एक खूबसूरत मस्जिद भी है, मुगल वास्तुकला मे संतुलन को बहुत
महत्व दिया गया है इसलिए बाईं ओर बनी मस्जिद को संतुलित करने के लिए दाई ओर भी एक मस्जिद जैसी ईमारत बनाई गई है जिसे जवाब कहते हैं.
ताज महल में एक संग्रहालय भी है। जिसमे मुग़ल कालीन कुछ नायाब वस्तुओं को संजो कर रखा गया है।
कब जाएं
ताज महल देखने के लिए अक्टूबर से फ़रवरी
तक का समय अच्छा माना जाता है।
कैसे पहुंचें
आगरा रेल और सड़क मार्ग से भली प्रकार
जुड़ा है।
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा
पर,
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
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