The great Himalayas calling....
DAY-3
तीसरा दिन: कसोल
जिभी से कसोल की दूरी 80 किलोमीटेर की
है जिसे हम ने 3 घंटे में पूरा किया. हम सुबह जिभी से निकले और दोपहर तक कसोल
पहुँच गए थे. कसोल हिमाचल का एक छोटा-सा टाउन है. आज से पाँच साल पहले तक यहाँ
इक्का दुक्का पहाड़ी घर ही होते थे. पर पिछले कुछ सालों से विदेशी बैगपैकर्स के
लिए यह जगह जन्नत जैसी हो गई है. हम जब कसोल पहुँचे तो यहाँ का नज़ारा
बिल्कुल अलग था. अगर आप पहले बंजार वैली और तीर्थन वैली हो कर आ रहे हैं तो यह जगह
आपको बिल्कुल अच्छी नही लगेगी. यहाँ पर बहुत सारे टूरिस्ट नज़र आएँगे. बहुत सारी
गाड़ियाँ और इज़राइली नागरिक. कसोल मलाना गाँव के नज़दीक होने के कारण पिछले कुछ
समय मे बहुत मशहूर हुआ है. इसका कारण है यहाँ पर पाई जाने वाली एक खास तरह की घांस.
जिसे लोग “मलाना क्रीम” भी कहते हैं. नशा
करने वाले विदेशी बैग पैकेर्स में यह जगह बहुत लोकप्रिय है.
कसोल में एक बाज़ार है जो आने वाले सैलनियों
की लगभग सारी ज़रूरतों को पूरा करता है. यहाँ पर कई सारे अच्छे कैफे हैं. जहाँ पर आप आराम से बैठ कर विदेशी
खानो का आनंद उठा सकते हैं.
यहाँ पर आप यहाँ की मशूहर ट्राऊट फिश भी टेस्ट कर सकते
हैं. यहां विदेशी लोगों के ज़्यादा आने से कई अच्छी बेकरी भी मौजूद हैं. यहाँ एक
जर्मन बेकरी भी है पर उसके बेकरी आइटम्स उतने अच्छे नही हैं. यहाँ बहुत सारे
होटेल्स हैं. यहाँ के बाज़ार से आप अच्छे गर्म कपड़े खरीद सकते हैं.
कसोल हिप्पी लाइफ स्टाइल को पसंद करने वालों
के लिए स्वर्ग जैसी है. मलाना जाने के लिए यहैीन से ट्रकिंग करनी होती है. मलाना
हिमाचल का ऐसा गाँव है जहाँ के लोग खुद को आर्यन मानते हैं. इनका दावा है कि
सिकंदर की सेना के कुछ सिपाही यहाँ रुक गए थे, यह
लोग उन्ही के वंशज हैं. यह लोग “कनाशी” भाषा बोलते हैं. इस गाँव में बाहर से आने वाले लोगों को अशुध्द माना
जाता है.
हमने कसोल में शॉपिंग की और अच्छा खाना
खाया. इसके सिवा कसोल में हमारे करने के लायक़ कुछ खास ना था. अगर आप प्रकृतिक
सुंदरता को निहारने और पहाड़ों की शांति को महसूस करने जाना चाहते हैं तो कसोल
इसके लिए उपयुक्त स्थान नही हैं. कसोल जाने का क्रेज़ यूथ में ज़्यादा
देखने को मिलता है. वैसे कसोल पहुँचने के लिए डाइरेक्ट कोई रेल मार्ग नही है.
कीरतपुर
साहिब और उना रेलवे स्टेशन जोकि पंजाब मे पड़ते हैं यहाँ तक रेल जाती है पर यह
दोनों जगहें भी कसोल से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर पड़ती हैं. इसलिए
यहाँ तक पहुँचने का सबसे अच्छा साधन है हिमाचल परिवहन की बस सर्विस. आप कुल्लू
जाने वाली बस ले सकते हैं और भुंतर पर उतर कर कसोल के लिए कोई लोकल बस या टैक्सी
ली जा सकती है. हिमाचल परिवहन की बस सर्विस की ऑनलाइन बुकिंग के लिए यहाँ क्लिक करें।
http://www.hptdc.nic.in/bus.htm
http://www.hptdc.nic.in/bus.htm
फिर मिलेंगे दोस्तों, अगले पड़ाव में हिमालय के कुछ अनछुए पहलुओं के साथ,
तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
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