एक दिन हिमाचली संस्कृति के नाम...
Day-1
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh under full Moon |
हिमालय से मेरा लगाव पहले प्यार जैसा
है, रह-रह कर पास
खींचता है। एक आकर्षण है जो वर्षों से निरंतरता बनाए हुए है। अगर कोई पूछे कि वो कौनसी
एक चीज़ है जो मुझे अपने मोहपाश में बांधे रखती है? तो कहना मुश्किल
होगा। क्यूंकि कोई एक चीज़ नहीं है जिसका नाम लिया जा सके। मेरे पास तो एक लम्बी
फेहरिस्त है, मन को सहलाती हिमालय से आती ठंडी हवाएं, नीला
आसमान, हरे पीले भूरे
रंगों से सजे वन, सफ़ेद चांदनी का दुशाला लपेटे पहाड़, पहाड़ों पर मीलों
फैली सड़कें, उन सड़कों के अन्धे मोड़ों पर बंधी रंगीन पताकाएं फ़िज़ा में बौद्ध
श्लोकों को घोलती, सबकी सलामती की दुआ करती, पगडंडियों पर
दौड़ती भेड़ें और उनके मुस्तैद शिकारी कुत्ते, कोयल की कूक, मोर
की बांग, भोर का उजाला, चाय का प्याला, आधी रात का पूरा
चाँद, पाईन की महक, नदी की कल-कल, चमकीली धूप, लाल टीन की छतें, सुरमई
पत्तरों वाली झोंपड़ियां, जंगली गुलाब की झाड़ियां और उन पर भर-भर
आते सजीले फूल, झरने और नाले, मंदिर की
घंटियां और मॉनेस्ट्री से आते “नम
मयो हो रेंगे क्यों” की गूंज, फसलों
से लहलहाते खेत, खेतों में काम
करते लोग, पहाड़ी गोल मटोल
बच्चे, पोपले बुज़ुर्ग, कश्मीरी सेब से लाल रुखसारों वाली महिलाऐं और न जाने क्या क्या….देखा बह गई न हिमालय के मोहपाश
में, चलिए चलते हैं
एक नई यात्रा पर।
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh under full Moon |
इस दफा पुकार हिमालय के खूबसूरत
क्षेत्र-धौलाधार पर्वत श्रृंखला से आई,
हिमाचल का यह भाग कांगड़ा में पड़ता है। दोस्तों हम पिछली बार ब्यास सिर्किट
घूम कर आए थे इस बार हम धौलाधार सर्किट देखेंगे।( ब्यास
सिर्किट की पोस्ट देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।) धौलाधार सर्किट का एक
बेहतरीन शहर है पालमपुर। काँगड़ा वैली में बसा यह शहर अपने में समेटे हुए है, बर्फ से ढ़के पहाड़ जोकि धौलाधार पर्वत श्रृंखला का हिस्सा हैं, बैजनाथ मंदिर, पैराग्लाइडिंग
के लिए पूरी दुनियां में मशहूर बीड़ बिलिंग, चाय
के बागान और कांगड़ा वैली में चलने वाली टॉय ट्रैन। पालमपुर के नज़दीक ही कई जगहें
हैं जहाँ जाया जा सकता है। कुल मिला कर एक लॉन्ग वीकएंड का एक्शन
पैक्ड इन्तिज़ाम।
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh under full Moon |
पालमपुर अच्छी तरह देखने के लिए काम से
काम 2 से 3
दिन का समय होना चाहिए। दिल्ली से पालमपुर लगभग 530
किलो मीटर पड़ता है। जिसका रूट यह रहेगा:-
दिल्ली-सोनीपत-पानीपत-करनाल-कुरुक्षेत्र-अम्बाला-रूपनगर-कीरतपुरसाहिब-आनंदपुर साहिब-नंगल-ऊना-रानीताल-काँगड़ा-पालमपुर।
अगर आप अपनी कार से जाएंगे तो यह
यात्रा 12-13 घंटे में पूरी होती है। पालमपुर पहुँचने के लिए सबसे अच्छा साधन है, हिमाचल
परिवाहन की वोल्वो बसें। यह दिल्ली कश्मीरी गेट से चलती हैं और सीधा पालमपुर
उतारती हैं। वैसे तो यह बसें दिन में कई समयों पर चलती हैं पर रात की वोल्वो सबसे
अच्छी रहती है, सुबह-सुबह पालमपुर
पहुंचा देती हैं।
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh in the morning |
वैसे तो पालमपुर के नज़दीक इतना कुछ है
देखने को पर मैंने पालमपुर से थोड़ा-सा दूर एक हिमाचल हैरिटेज विलेज है वहीँ ठहरने
का मन बनाया। मैं हमेशा से हिमालय में रहने वाले लोगों के जीवन को नज़दीक से देखना
चाहती थी। जब कभी मैं हिमाचल में रोड ट्रिप किया करती थी और थोड़ी-थोड़ी दूरी पर
पड़ने वाले गांवों को देखती तो उनके घर मुझे बहुत आकर्षित करते। मैं हमेशा सोचती कि
काश मैं इन घरों में कुछ दिन रह कर देख सकती उनके रेहन-सहन, संस्कृति को करीब से देख पाती, अनुभव
कर पाती। पर इतने सालों में यह संभव न हो सका।
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh under interiours |
फिर मुझे हिमाचल हैरिटेज विलेज के
बारे में एक ख़ास दोस्त ने बताया। एक दिन बातों-बातों में हिमालय का ज़िक्र निकला तो
बात चलते-चलते दूर हिमाचल हैरिटेज विलेज तक जा पहुंची। मेरे दोस्त ने बताया कि मैं
सच में हिमाचल के अलग-अलग रीजन को एक ही जगह देख सकती हूं और अनुभव भी कर सकती हूं। मुझे
विश्वास न हुआ। यह मुझे वहां पहुँच कर पता चला।
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh under full Moon |
हिमाचल हैरिटेज विलेज एक ऐसी जगह है जिसे बड़े
प्यार से हिमाचल की संस्कृति को प्रोमोट करने के लिए बनाया गया है। यहाँ चार कॉटेज
हैं जिनके नाम हिमाचल के अलग-अलग गांवों के नामों पर रखे गए हैं जैसे बरोट, ऊना, काँगड़ा, धलियारा, खनियारा। और
ख़ास बात यह है कि इन्हें बनाया भी उसी तरह गया है जैसे घर इन गांवों में होते हैं।
बस फ़र्क़ है तो लग्ज़री का।
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh |
यह एक लग्ज़री रिसोर्ट है जहाँ आपकी सुख-सुविधाओं का खास ख्याल रखा गया है। हिमाचल हैरिटेज विलेज की लोकेशन
इस जगह की ख़ासियत है। पहाड़ के दामन में बना यह रिसोर्ट चांदनी रात में बहुत सुन्दर
दीखता है। पीछे बर्फ से ढंके धौलाधार पर्वत श्रृंखला, दूर तक फैले पाईंन के जंगल, दाईं और बहती पहाड़ी नदी, रिसोर्ट के बीच से निरंतर बहते पहाड़ी पानी के सोते, इस जगह को निरंतरता प्रदान करते हैं। यहाँ पहुँच कर कहीं जाने का मन
नहीं करता।
दिल करता है कि यहीं बैठ कर पूरा जीवन बिता दिया जाए। दिन में खिली धूप
रहती है और रात में काफी ठण्ड हो जाती है। यह जगह दिल्ली से थोड़ा दूर ज़रूर है पर
यहाँ पहुँच कर लगता कि इतनी दूर आना बेकार नहीं गया। हिमाचल हैरिटेज विलेज पहुँच
कर सारी थकन मिट जाती है। रिसोर्ट के मालिक डोगरा जी व गगन शर्मा एक बेहतरीन होस्ट
हैं। और मेहमान नवाज़ी में कोई कसर बाक़ी नहीं रखते। फिर चाहे वह हिमाचल का परम्परागत भोजन काँगड़ा धाम हो या फिर बॉन फायर का इन्तिज़ाम। ज़मीन पर बैठ कर पत्तल दावत ने समां ही बांध दिया। मुझे अपने बचपन की यादें ताज़ा हो आईं।
Kangda Dham-Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh |
हमने पहले दिन सिर्फ़ रिसोर्ट में रह कर थकान उतारी और बॉन फायर का मज़ा लिया। हम
देर रात तक नीले आकाश तले इस हसीन वादियों का आंनद ले रहे थे। रात नर्म बिस्तर पर
नींद बहुत अच्छी आई। सुबह मेरी आँख पक्षियों के कलरव से खुली। कैसी प्यारी सुबह
थी। भोर का नीला-नीला उजाला और कोयल की मीठी कूक। यह यहीं हो सकता है। हरी भरी
वादी में सूरज की रौशनी पाईंन के जंगलों से छन कर आने लगी।
Himachal heritage village Palampur Himachal Pradesh in the morning |
मैंने आलस छोड़ कर गरमा-गरम
चाय का प्याला थाम लिया। आज बहुत कुछ देखना है। बैजनाथ मंदिर की सैर, पैराग्लाइडिंग, बीड़ बिलिंग, चाय के बागान और कांगड़ा वैली में चलने वाली टॉय ट्रैन। यह था ब्यौरा
पहले दिन का, अभी बहुत कुछ
बाक़ी है। आप ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ। पालमपुर डायरी के पन्नों से कुछ और क़िस्से
आपके साथ साझा करुँगी अगली पोस्ट में।
तब तक खुश रहिये और घूमते रहिये
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी