रंण उत्सव-2016
रंण उत्सव तो सिर्फ़ एक बहाना है, गुजरात मे बहुत कुछ दिखाना है....
यह लाइन किसी ने सही कही है, क्यूंकि रंण उत्सव के बहाने ही मैने बहुत कुछ ऐसा देख डाला जिसे देखने शायद अलग से मैं कभी आती ही नही गुजरात। इस बार मौक़ा था रंण उत्सव मे जाने का। चार दिन की मेरी यह तूफ़ानी यात्रा अपने मे समेटे थी बहुत कुछ अनोखा। अहमदाबाद से सुरेन्द्रनगर, सुरेन्द्रनगर से गाँधी धाम और गाँधी धाम से धोर्ड़ो गाँव जहाँ कि रंण उत्सव मनाया जाता है। मैं पहले ही बता दूं कि इनमे से कोई भी जगह आस पास नही है लेकिन गुजरात के हाई वे बहुत अच्छे हैं कि आप बिना किसी तकलीफ़ के लंबी रोड यात्रा कर सकते हैं।
चलिए तो फिर यात्रा शुरू करते हैं। मैं अहमदाबाद पहुँच कर निकल पड़ी सुरेन्द्रनगर में वाइल्ड एस सेंचुरी देखने। क्या है खास इस सेंचुरी मे? यही सवाल मेरे मन मे भी उठा था। पाँच हज़ार वर्ग किलोमीटर मे फैला यह वेटलैंड किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। इसे लिट्ल रंण ऑफ कच्छ कहते हैं। यह जगह इसलिए मशहूर है कि पूरी दुनिया मे सिर्फ़ यहीं वाइल्ड एस पाए जाते आईं। वाइल्ड एस यानि कि जंगली गधे। कहते हैं की यहाँ लगभग 3000 वाइल्ड एस हैं। इसके अलावा यहाँ कई अन्य जानवर भी पाए जाते हैं।
मुझे इस जगह की सबसे अच्छी बात यह लगी कि यहां तक पहुँचना बहुत आसान है। मीलों तक फैला वेटलैंड जिसे बड़ी आसानी से जिप्सी मे बैठ कर देखा जा सकता है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह सेंचुरी बर्ड वाचिंग के लिए बहुत अच्छी है। मेरी पिछली गुजरात की यात्रा में हम फ्लैमिंगो ढूंढते हुए मांडवी मे कितनी दूर तक समुद्र तट पर चले थे और फिर भी हमे फ्लैमिंगो नही मिले थे लेकिन यहाँ इस सेंचुरी मे जगह जगह वॉटर बॉडी बनी हुई हैं जहां फ्लैमिंगो के झुंड के झुंड देखने को मिल जाते हैं वो भी बड़ी आसानी से। बस ज़रूरत है तो एक अदद ज़ूम लेंस की, और वो भी कम से कम 400 या 600 mm का ज़ूम लेंस ।
वाइल्ड एस थोड़े शर्मीले होते हैं अपने नज़दीक गाड़ियों को देख कर झट से झाड़ियों मे घुस जाते हैं। हमे घूमते-घूमते शाम हो गई। सामने सूरज अस्त की ओर चल पड़ा था। यहाँ की दलदली मिट्टी नमक की अधिकता के कारंण बंजर है। लेकिन देखने मे सुंदर लगती है। दूर तक फैला मैदान और सुंदर सनसेट वहीं रुकने को मजबूर कर रहा था। यह दिसंबर का महीना है लेकिन यहाँ ठंड नही है। हवा अच्छी लग रही है। कुछ देर ठहर के सनसेट का मज़ा लिया और फिर चल पड़े अपने डेरे की ओर।
यहीं पास ही एक रिज़ॉर्ट मे ठहरने की ववस्था की गई है। पहला दिन ख़त्म होने को आया। आज चौदहवीं की तो नही लेकिन 12ह्वीं की रात है इसलिए चाँद आसमान मे कुछ ज़्यादा ही चमक रहा है। अभी इसे और चमकना होगा। चाँदनी रात मे रंण के सफेद रेगिस्तान को देखने लोग खास तौर पर पूर्णिमा के दिन आते हैं। यही वहाँ का मुख्य आकर्षण है।
दूसरा दिन थोड़ा लंबा होने वाला था हमे सुरेन्द्र नगर से गाँधी धाम की यात्रा तय करनी है। यह यात्रा कुल 206 किलो मीटर की होने वाली है। रास्ते मे हम कई गाँव देखेंगे। ऐसे गाँव जिनमे छुपा है इतिहास। कच्छ की प्राचीन हस्त कला और वैभव का इतिहास। यहीं पास ही एक गाँव है जिसका नाम है खारा घोड़ा। कहते हैं इस गाँव मे 111 साल पुराना शॉपिंग माल है। जिसे अँग्रेज़ों ने 1905 मे बनवाया था। आज यहाँ कुछ दुकाने मौजूद हैं जोकि गाँव वालों की ज़रूरत का सामान एक ही छत के नीचे उपलब्ध करवाती है। इस गाँव से थोड़ा आगे बढ़ते ही हमे नमक की खेती होते दिखने लगती है। यह पूरा प्रोसेस देखना भी एक अनुभव है। नमक कैसे बनता है इसकी कहानी तफ्सील से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें:
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यहाँ मिट्टी के गोल घर मुझे आकर्षित करते हैं जिनके बीचों बीच मे एक छोटा-सा आँगन है जहाँ काले लिबास मे कुछ महिलाएँ कढ़ाई का काम कर रही हैं। यह महिलाएँ मारू मेघवाल और रबाड़ी जनजाति से संबंध रखती है और सिंगल धागे से कपड़े पर त्रिकोण आकर की ज्योमित्री डिज़ाइन की कढ़ाई करती हैं। यह बेहद नफीस और बारीक कढ़ाई है। जिसे बड़ी महारत से किया जाता है। कहते हैं इस कला को करने वाले की ऑंखें जल्द ही साथ छोड़ जाती हैं। यह कलाकार कपडे पर उलटी तरफ ताने बानों को उठा कर कढ़ाई करती हैं और सीधी तरफ डिज़ाइन बनती जाती है। इस जनजाति का संबंध पाकिस्तान से है। और यह विस्थापित होकर यहाँ कच्छ मे आ बसे। इनके काम मे महीनो का समय लगता है। लेकिन इनके द्वारा किए गए कढ़ाई के काम की फैशन डिज़ाइनरों मे बड़ी माँग है।
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मुझे सुकून है कि मैं अपनी इस यात्रा मे असली गुजरात को देख पा रही हूँ। मेरा अगला पड़ाव है होड़का गाँव जोकि धोर्ड़ो के रास्ते मे पड़ता है। इस गाँव की ख़ासियत है यहाँ के गोल घर। मिट्टी की दीवारें और अंदर से बड़े खूबसूरत होते हैं यह घर। आप भी देखिए। एक बार यहाँ आकर यहाँ से वापस जाने का मन नही करेगा। यह लोग अपने घरों को बहुत खूबसूरती से सजाते हैं। घर की दीवारों पर, छत को सब जगह कलाकारी देखने को मिलती है।
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हम दोपहर होते होते धोर्ड़ो पहुँचे। बहुत भूक लगी थी तो सीधे डाइनिंग हॉल मे पहुँच गए। यहाँ का इंतज़ाम बहुत अच्छा है। सब कुछ पर्फेक्ट। चेक इन से लेकर खाने पीने और रंण मे जाने की व्यवस्था तक सब कुछ पर्फेक्ट।
शाम को रंण उत्सव का शुभारम्भ माननीय मुख्यमंत्री श्री विजय भाई रुपानी के हाथों एक रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ। हम सब ऊंट गाड़ी पर बैठ कर रंण मे पहुँचे। दूर तक फैला रंण बहुत सुंदर दिखता है। रात मे जब पूर्णिमा का चाँद रोशनी से सारे रंण को जगमगा देगा तब सैलानी इस अद्भुत नज़ारे को देखने रंण मे आएँगे। जिसकी व्यवस्था पहले से ही की गई है।
धवल चाँदनी मे रंण देखना एक अनोखा अनुभव है। मैं कहूँगी कि यह एक ऐसा अनुभव है जिसे सिर्फ़ महसूस ही किया जा सकता है। इसलिए कैमरे मे क़ैद करने के चक्कर मे न पड़ें। बस रण में जाकर इसका लुत्फ़ उठाएं। ठंडी हवाओं के बीच रंण मे दूर तक सफेद चाँदनी को निहारना बहुत खूबसूरत अनुभव है।
यहाँ टेंट सिटी के पास ही क्राफ्ट बाज़ार है जहाँ कच्छ के हैंडी क्रॅफ्ट आइटम खरीदे जा सकते है। मेरे इस चार दिन के प्रवास मे मैने कच्छी एंबरोएडरी की सैंकड़ों साल पुरानी विरासत को क़रीब से देखा। साथ ही भिन्न-भिन्न प्रकार की जनजातियों के लोगों के जीवन को क़रीब से देखा।
मेरी इस यात्रा का एक और हाईलाइट है और वो है यहाँ का खाना। कहते हैं गुजराती खाना मीठा होता है। पर यह पूरा सच नही है। यहाँ मीठे के साथ कई अन्य स्वाद भी है, आप ट्राई तो कीजिए। मैने अपनी पूरी यात्रा मे गुजरात के अलग अलग स्वादों को चखा। खमंड, धोखला, फाफड, थेपला, गुजराती थाली और भी बहुत कुछ।
गुजरात घूमने कब जाएं?
वैसे तो वर्ष में कभी भी गुजरात घूमने जाया जा सकता है लेकिन रण उत्सव हर वर्ष दिसंबर माह में होता है जोकि फरवरी तक चलता है। अगर आप रंण उत्सव देखने जा रहे हैं तो उद्घाटन के आसपास ही जाएं। फरवरी तक मेले का उत्साह थोड़ा ठंडा हो जाता है।
कैसे पहुंचें?
रंण उत्सव धोरडो नमक गांव में किया जाता है जिसके सबसे नज़दीक भुज(71 किलोमीटर) है। रण उत्सव के लिए आप बाई एयर या ट्रैन से भी जा सकते हैं। नज़दीकी एयरपोर्ट अहमदाबाद है। भुज एयरपोर्ट सबसे नज़दीक है लेकिन फ्लाइट्स बहुत ज़्यादा नहीं हैं, जबकि अहमदाबाद एयरपोर्ट देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। अहमदाबाद से धोरडो की दूरी 370 किलोमीटर है। सड़कें अच्छी हैं लेकिन रास्ता थोड़ा लंबा है।
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा पर, तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
Ennhiitenglg the world, one helpful article at a time.
ReplyDeleteI love these areslcti. How many words can a wordsmith smith?
ReplyDeleteCreated the greatest arlsctei, you have.
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