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कुछ पंक्तियां इस ब्लॉग के बारे में :

प्रिय पाठक,
हिन्दी के प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग पर आपका स्वागत है.….
ऐसा नहीं है कि हिन्दी में अच्छे ब्लॉग लिखने वालों की कमी है। हिन्दी में लोग एक से एक बेहतरीन ब्लॉग्स लिख रहे हैं। पर एक चीज़ की कमी अक्सर खलती है। जहां ब्लॉग पर अच्छा कन्टेन्ट है वहां एक अच्छी क्वालिटी की तस्वीर नहीं मिलती और जिन ब्लॉग्स पर अच्छी तस्वीरें होती हैं वहां कन्टेन्ट उतना अच्छा नहीं होता। मैं साहित्यकार के अलावा एक ट्रेवल राइटर और फोटोग्राफर हूँ। मैंने अपने इस ब्लॉग के ज़रिये इस दूरी को पाटने का प्रयास किया है। मेरा यह ब्लॉग हिन्दी का प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग है। जहाँ आपको मिलेगी भारत के कुछ अनछुए पहलुओं, अनदेखे स्थानों की सविस्तार जानकारी और उन स्थानों से जुड़ी कुछ बेहतरीन तस्वीरें।
उम्मीद है, आप को मेरा यह प्रयास पसंद आएगा। आपकी प्रतिक्रियाओं की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
आपके कमेन्ट मुझे इस ब्लॉग को और बेहतर बनाने की प्रेरणा देंगे।

मंगल मृदुल कामनाओं सहित
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

Monday 24 April 2017

India's own French City-Pondicherry


इंडिया की अपनी फ़्रेंच सिटी-पांडिचेरी


एक स्वप्न सा सजीला शहर जो संगम है कई सभ्यताओं का, उनकी संस्कृतियों का, उनकी आस्था का और परस्पर सौहार्द का। यहाँ भेद हैं वर्ण के, भाषा और आस्था के फिर भी यह एक हैं। एक शहर जो शान्त है, यहाँ शोर है तो सिर्फ समुद्र की लहरों का। यहाँ है अरबिन्दो आश्रम, एक आधुनिक और अन्तराष्ट्रीय शहर-ऑरोविल, हैरिटेज बिल्डिंग्स, सुन्दर चर्च, स्मारक, मनोरम बीच, पार्क और बैकवाटर, संग्रहालय, मन्दिर, मस्जिद और भी बहुत कुछ।
पॉन्डिचेरी की यात्रा शुरू होती है चेन्नई से वाया ईस्ट कोस्ट हाईवे। जितना सुन्दर पोंड़ी है । उतना ही हसीन पोंड़ी पहुँचने का सफर है। हाइवे के बाई ओर लगातार आपके साथ चलता समुद्र तट।  जलवायु में आद्रता होने के कारण यहाँ वर्ष भर हरयाली छाई  रहती है। घुमावदार सड़क के दोनों ओर हरे भरे पेड़ झुके हुए ऐसे दिखते हैं जैसे मुसाफिर का झुक कर स्वागत करते हों। दूर तक लहलहाते खेत और नारियल के झाड़, बैकवाटर, मछलियाँ पकड़ते मछुवारे, गाँव के किसान एक कम्प्लीट लैंडस्केप बनाते हैं। चेन्नई से 56 किमी दूर महाबलीपुरम पड़ता है जो कि यूनेस्को द्वारा हेरिटेज धरोहर घोषित किया गया है। यहाँ प्राचीन काल के मंदिर और गुफ़ाएँ हैं। कोरोमंडल समुद्र तट पर स्थित महाबलीपुरम शहर एक प्राचीन बंदरगाह है। चैन्नई से छुट्टी मनाने जाने के पसंदीदा स्थानों में से यह एक है। एक वृहद ऐतिहासिक पृष्ठभूमि होने के कारण महाबलीपुरम में पल्लव साम्राज्य के कई नायाब ऐतिहासिक स्मारक हैं। यहां के ज्यादातर मंदिर काटी गई गुफा के आकार के हैं। इस शहर का एक मुख्य आकर्षण यहां के सुंदर और साफ समुद्र तट हैं। इन तटों पर मछली पकड़ने और बोटिंग जैसी कई गतिविधियां उपलब्ध हैं।


पॉन्डिचेरी बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित है फ्रांसीसियों ने यहाँ लगभग तीन दशकों तक राज किया है जिसकी छाप यहाँ की वास्तुकला और संस्कृति में झलकती है। फ्रेंच स्टाइल के घर, सड़कें, इमारतें।  ऐसा लगता है जैसे आप किसी यूरोपीय देश में घूम रहे हैं। कहा जाता है की जब फ्रांसीसी  भारत आए तो यहाँ की जलवायु उनके लिए कठोर थी। इसलिए उन्होंने पानी के नज़दीक रहना बेहतर समझा और फ्रेंच लोगों के लिए ज़मीन के उस हिस्से का चुनाव किया जोकि समुद्र तट के नज़दीक था। आज इस जगह को फ्रेंच क्वाटर कहा जाता है। वहीँ यहाँ के मूल निवासी तमिलियन्स जोकि कृषि से जुड़े काम करते थे उन्होंने समुद्र से दूर ऐसा भू भाग चुना जहाँ खेती की जा सके। उनके वाले हिस्से को नाम मिला “ब्लैक टाउन” और फ्रेंच लोगों की बस्ती को कहा गया “वाइट टाउन”। एक छोटी-सी नहर इन दोनों टाउन को बीच से अलग करती है। वाइट  टाउन में कोलोनियल आर्किटेक्चर और फ्रैंच कल्चर की झलक मिलती है। यहीं ब्लैक टाउन में पारम्परिक तमिल वास्तुकला को सहेजे कई मेंशन हैं जिन्हें हैरिटेज हॉटेल में परिवर्तित कर दिया गया है।


प्रोमेनाड बीच के नाम से प्रसिद्ध पांडिचेरी बीच यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। शाम के समय तट पर ट्रैफिक की आवाजाही बंद कर दी जाती है जिससे समुद्र किनारे टहलने के लिए यह एक आदर्श जगह बन जाती है। प्रोमेनाड बीच 1.5 कि.मी. में फैला है और शहर के सभी प्रमुख आकर्षण स्थान इसके आसपास ही हैं। यहाँ गाँधी जी की विशाल मूर्ति है, एक पुराना लाइट हाउस भी है। अरबिन्द्रो आश्रम के गेस्ट हाउस और प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद हुए सैनिको की याद में बनाया गया वॉर मेमोरियल, कुछ हैरिटेज होटल और ला-कैफ़े। ला-कैफे में बैठ कर कॉफी पीने  का अपना अलग ही मज़ा है। नेपथ्य में समुद्र की लहरों का शोर और हल्की हल्की फुहारें सब कुछ दिल को लुभाने वाला। यहाँ बैठ कर सूरज की पहली किरण देखना बहुत लुभावना है। यहाँ सुबह सुबह बहुत चहल पहल हो जाती है। लोग मॉर्निंग वॉक  के लिए आते हैं। तो कोई पत्थरों पर बैठ कर ध्यान लगा रहा होता है। नेहरू स्टैचू के पास एक प्लेटफार्म पर लोग योग करते हैं। पॉन्डिचेरी एक साफ सुथरा शहर है, यहाँ के निवासी सफाई को लेकर काफी जागरूक हैं।
यहाँ पर प्रसिद्ध श्री अरबिन्द्रो आश्रम स्थित है। अरबिन्द्रो आश्रम के अनुयायी देश विदेश से यहाँ आते हैं। वाइट् टाउन में श्री अरबिन्द्रो आश्रम का डाइनिंग हॉल, पुस्तकालय व कई गेस्ट हॉउस स्थित हैं। जिन इमारतों का रंग सुरमई है वह श्री अरबिन्द्रो आश्रम की इमारतें हैं। यहाँ ठहरने के लिए आप पहले से बुकिंग कर सकते हैं। सिंगल ट्रैवलर के लिए यह एक सुरक्षित और अच्छा विकल्प है। पर यहाँ आश्रम के कुछ नियम है जिनका आपको पालन करना होगा जैसे -शराब और धूम्रपान निषेध है।


पांडिचेरी संग्रहालय एक अन्य देखने लायक जगह है। संग्रहालय में एक गैलरी है जिसमें अनेक मूर्तियाँ और अरिकामेडु रोमन व्यवस्था के समय की अनेक महत्वपूर्ण पुरातत्वीय वस्तुएँ हैं। यह संग्रहालय प्राचीनकाल की दुर्लभ कलाकृतियों का भंडारगृह है। यहाँ प्रदशित संग्रह में चोल और पल्लव राजवंश की अनेक दुर्लभ पीतल की मूर्तियाँ तथा पत्थर सम्मिलित हैं।
इस संगहालय में पांडिचेरी क्षेत्र से लाई गई सीपियों का भी एक बहुत अच्छा संग्रह है। यह संग्रहालय आने वालो को पांडिचेरी के औपनिवेशिक अतीत के बारे में जानने का अवसर देता है और भारत में फ्रांस के औपनिवेशिक शासन में एक अच्छी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। पांडिचेरी संग्रहालय भारती पार्क में स्थित है।


पोंड़ी मशहूर है अपने फ्रेंच कनेक्शन के लिए और इसी से जुड़े हैं कई सुन्दर चर्च। यहाँ काफी चर्च है जिनमे एक चर्च बीच रोड से लगा हुआ ही है, दूसरा चर्च ब्लैक टाउन में है वहीँ तीसरा- “सैक्रेड हार्ट चर्च ऑफ जीसस” रेलवे स्टेशन के नज़दीक पांडिचेरी के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण चर्चों में से एक है। यह चर्च वास्तुकला की गोथिक शैली में डिज़ाइन किया गया है इस चर्च की सबसे आकर्षक और आसानी से नज़र आने वाली विशेषता है इसकी स्टेन्ड काँचयुक्त खिड़कियाँ जो यीशु के जीवन के समय को दर्शाती हैं। यह चर्च एक ऐसी जगह है जो आने वालो को शांति और सुकून का अहसास देता है।
यहीं नज़दीक में ऑरो बीच स्थित है, यह एक स्विमिंग बीच है। जो अपनी खूबसूरती के कारण यात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहाँ कई बीच रिसोर्ट, गैस्ट हाउस और रेस्टोरेन्ट  भी मौजूद हैं। अगर आप ऐसे बीच पर जाना चाहते हैं जहाँ बहुत शान्ति हो तो सेरेनिटी बीच जाएं।


पॉन्डिचेरी क्योंकि कई सभ्यताओं का संगम है इसलिए यहाँ खाने पीने की बड़ी वेरायटी मिलती है। शुद्ध दक्षिण भारतीय शाकाहारी भोजन से लेकर, चेट्टीनाड मांसाहारी भोजन, उत्तर भारतीय भोजन और फ्रैंच फ़ूड सब कुछ मिल जाता है। जब आप यहाँ आएँ तो एक्टेसी कैफे का पिज़्ज़ा ज़रूर टेस्ट करें। पॉन्डिचेरी में बैकवाटर का मज़ा भी लिया जा सकता है। वाइट टाउन से 8 किमी दूर पैराडाइज़ बीच एक ऐसा बीच है जहाँ आपको फेरी से जाना पड़ेगा। इस बीच पर वॉटर स्पोर्ट्स की भी व्यवस्था है।





पोंडी में घूमने के लिए आप स्कूटी या बाइक रेन्ट पर ले सकते हैं। वैसे साईकिल भी एक अच्छा विकल्प है। यहाँ शॉपिंग करने के लिए नेहरू स्ट्रीट और महात्मा गांधी रोड अच्छी मार्केट हैं। पोंड़ी में खास बात है कि यहाँ सब कुछ आसपास है। अगर पॉन्डिचेरी शान्ति की तलाश में जा रहे हैं तो वीकएंड में न जाएं। वीकेंड में यहाँ आसपास के शहरों से काफी लोग घूमने  आते हैं। पॉन्डिचेरी के लोग मिलनसार और मदद करने वाले हैं। हाँ यहाँ के ऑटो रिक्शा वाले थोड़े बदमाश हैं टूरिस्ट को बेवक़ूफ़ बनाने में पीछे नहीं हटते इसलिए थोड़ी बार्गेनिंग सीख कर जाएं। एक ज़रूरी बात, पोंड़ी पहुँच कर टूरिस्ट इनफार्मेशन सेन्टर से सिटी गाइड बुकलेट और सिटी मैप लेना न भूलें।
फिर मिलेंगे दोस्तों, भारत दर्शन में किसी नए शहर की यात्रा पर,
तब तक खुश रहिये,और घूमते रहिये,
एक शेर मेरे जैसे घुमक्कड़ों को समर्पित
"सैर कर दुनियाँ की ग़ाफ़िल ज़िन्दिगानी फिर कहाँ
ज़िन्दिगानी  गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ “

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

Wednesday 5 April 2017

Asia's Biggest Tulip Garden-Srinagar Kashmir

ट्यूलिप फेस्टिवल श्रीनगर-एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डेन, कश्मीर

Tulip Garden, Srinagar, Kashmir

मुझे ट्यूलिप बहुत पसंद हैंशायद इसीलिए जब भी बसंत ऋतु आती है मेरा यायावर मन ट्यूलिप फ्लावर्स की खोज मे निकल पड़ता है। शायद मेरे भीतर भी कहीं एक फ्लॉवर हंटर” की आत्मा छुपी हुई है। पिछली साल इन दिनों मैं ट्यूलिप देखने दुनिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन क्यूकेन्होफ़ पहुँच गई थी। क्यूकेन्होफ़ गार्डेन यूरोप के हॉलैंड में स्थित है। इस बार मैंने कश्मीर मे होने वाले ट्यूलिप फेस्टिवल मे जाने का मन बनाया। श्रीनगर में हर साल अप्रैल में ट्यूलिप फेस्टिवल मनाया जाता है। जिसका आयोजन कश्मीर टूरिज्म बोर्ड करता है। आप को जान कर हैरानी होगी कि यह  ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है। श्रीनगर मे इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन मे हर साल एक महीने के लिए ट्यूलिप फेस्टिवल मनाया जाता है। जिसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ फ्लोरीकल्चर पूर साल मेहनत करता है। ज़बरवान पर्वतमाला के दामन मे लगभग 12 हेक्टेयर में फैला यह बॉटनिकल गार्डेन बहुत खूबसूरत है। इस  साल इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन में 15 लाख ट्यूलिप लगाए गए हैं। इस ट्यूलिप गार्डेन  स्थापना सन् 2008 में की गई थी गई थी। इस गार्डेन को देखने लाखों की संख्या में सैलानी हर वर्ष देश विदेश से आते हैं।


Tulip Garden, Srinagar, Kashmir

क्यूंकि कश्मीर घाटी ने मुग़लों का एक लंबा दौर देखा है इसलिए यहाँ के गार्डेन्स पर पार्शियन स्थापत्यकला का प्रभाव देखने को मिलता है। जिसमें टेरेस गार्डेन पार्शियन हॉर्टिकल्चर का ख़ास अंग माने जाते है। निशात बाग़ और शालीमार गार्डेन भी इसी तर्ज़ पर बनाए गए है। और यहाँ का इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन भी उसी स्ट्रक्चर पर बना है। यहाँ तीन टैरेस हैं।
इस गार्डेन को तैयार करने मे पूरे 10 महीनों का वक़्त लगता है। एक महीने के लिए इस गार्डेन को खोला जाता है जिसके बाद अगले सीज़न के लिए गार्डेन को दुबारा तैयार करने की क़वायद शुरू हो जाती है। यहाँ जो ट्यूलिप हम देखते हैं इन्हें उगाने के लिए हॉलैंड से ट्यूलिप बल्ब आयात किए जाते हैं। और जब फेस्टिवल के बाद गार्डेन पब्लिक के लिए बंद हो जाता है तब बड़ी सावधानी से एक-एक ट्यूलिप बल्ब को सहेजने की क़वायद शुरू की जाती है। इन्हें न सिर्फ़ अलग अलग रंगों और वैरायटी के हिसाब से सहेजा जाता है बल्कि अगले सीज़न तक खराब न होने के लिए कोल्ड स्टोरेज मे बड़ी सावधानी से रखा भी जाता है। यह पूरा काम फ्लोरीकल्चर डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट्स की निगरानी मे किया जाता है।


Tulip Garden, Srinagar, Kashmir

दोस्तों ऐसा कौन होगा जिसे फूल पसंद न होफूल प्रकृति माँ का एक ऐसा तोहफा है जोकि चुटकियों में आपका मूड फ्रेश कर देता है। आप कितने ही गुस्से में हों फूल देख कर आपके चेहरे पर मुस्कान आ ही जाएगी। यह मेरे अलावा वैज्ञानिक अनुसन्धान भी कहते हैं। एक शोध के अनुसार जो लोग फूल पाते हैं या फिर फूलों सानिध्य में रहते हैं उनमे तनाव का स्तर लगातार घटता जाता है। वह ज़्यादा खुश और संतुष्ट रहते हैं। फूल हमारे इमोशनस के लिए हीलर का काम करते हैं। स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू जर्सी में हुए एक शोध से यह जानकारियां मिली। फूल हमारी भावनाओं को प्रकट करने के लिए सबसे सशक्त मध्यम हैं। यह हमारे सभी प्रकार के भावों को अपने अलग अलग रंगों से बड़े ही प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं। खुशीउल्लास,भक्तिप्रेमसमर्पणशोक जैसे सभी अवसरों पर हम अलग अलग प्रकार के फूलों का प्रयोग करते हैं। और फिर बात अगर हो ट्यूलिप्स की तो कहने ही क्या हैं। हिमालय से निकल लम्बी यात्रा कर ट्यूलिप नीदरलेंड का राष्ट्रीय पुष्प ट्यूलिप ऐसे ही नहीं बन गया। और जिन देशों से होकर यह यूरोप पहुंचा, ट्यूलिप उनकी सभ्यता का भी अभिन्न अंग बना।
यहाँ फैले रंगबिरंगे ट्यूलिप्स को देख कर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि इस इंद्रधनुषी छठा को बिखेरने में कितनी मेहनत की गई है।


Tulip Garden, Srinagar, Kashmir

 इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन डल लेक के बहुत नज़दीक स्थित है। तीन लेवल पर बना यह ट्यूलिप गार्डेन अपने में 46 प्रकार के ट्यूलिप्स का घर है। इस ट्यूलिप गार्डेन के बीचों बीच गार्डेन की खूबसूरती में चार चाँद लगाने के लिए कई फाउन्टेन्स भी लगाए गए हैं। गार्डन में आने वाले लोगों की सुविधा का पूरा ख़्याल रखा गया है। 


Food point-Tulip Garden, Srinagar, Kashmir


इसलिए यहाँ एक छोटा सा फ़ूड पॉइंट भी है। जहाँ जाकर आप कश्मीर के ख़ास पकवान जैसे बाक़रख़ानीचॉकलेट केक और कश्मीरी केहवा का आनंद ले सकते हैं। इस गार्डन में साफ सफाई का विशेष ख्याल रखा गया है। ट्यूलिप के फूलों की क्यारियों के बीच में जाने की इजाज़त किसी को नहीं है अलबत्ता आप इनके नज़दीक तस्वीरें खिंचवा सकते हैं। यहाँ जगह जगह सैलानियों के बैठने के लिए बैंच भी बनाई गई हैं।

KK@Tulip Garden, Srinagar, Kashmir

कब जाएं?
इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डेन हर साल अप्रैल के महीने में एक महीने के लिए खोला जाता है। जिसकी तारीख कश्मीर टूरिज्म की वेबसाइट से चैक करके ही अपनी ट्रिप प्लान करें।

कैसे पहुंचे?
श्रीनगर हवाई और सड़क मार्ग से सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। अगर आप रेल से यात्रा करना चाहते हैं तो जम्मू तक रेल सुविधा है, उसके आगे सड़क मार्ग से जाना पड़ेगा।
ट्रेवेल टिप्स:
हालांकि अप्रैल माह में पूरे देश में काफ़ी गर्मी होने लगती है लेकिन कश्मीर में मौसम सुहावना होता है। बहुत बार बारिश की सम्भावना भी बन जाती है। जिसके चलते तापमान बहुत नीचे चला जाता है इसलिए सर्दी के इंतिज़ाम से जाएं। और जाने से पहले मौसम का हाल चैक करके ही प्लान बनाएं।


Saturday 1 April 2017

राजस्थान का सबसे रोमांटिक शहर- उदयपुर

राजस्थान का सबसे रोमांटिक शहर- उदयपुर

दोस्तों मुझसे अक्सर यह सवाल पूछा जाता है, कि आप देश और दुनिया मे इतना घूमती हैं, आपको सबसे ज़्यादा कौनसी जगह पसंद आई? वैसे इस सवाल का जवाब देना बड़ा ही मुश्किल है। क्योंकि हमारे देश का हर शहर हर राज्य अपने आप मे कुछ विशेषताएँ समेटे हुए है। जिनकी आपस मे तुलना नही की जा सकती। यही तो ख़ासियत है हमारे देश की। फिर भी मेरी एक लाख किलो मीटर की यात्रा के बाद कुछ नाम हैं जोकि मेरी स्मृति मे हमेशा के लिए बस गए हैं। आज मैं आपको ऐसे ही एक शहर से रूबरू करवाऊंगी और आपका परिचय करवाऊंगी उन अनछुए पहलुओं से जोकि इस शहर को औरों से अलग बनाते हैं। जी हां, मैं बात कर रही हूँ राजस्थान के सबसे रोमांटिक शहर उदयपुर की। तो चलिए मेरे साथ इस यात्रा पर।


उदयपुर रेल, सड़क और हवाई मार्गों से देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। आप बड़ी आसानी से देश के किसी भी कोने से उदयपुर पहुँच सकते हैं। मैंने उदयपुर पहुँचने के लिए अपनी प्रिय सवारी भारतीय रेल को चुना। दिल्ली से रात भर का सफ़र तय करने के बाद मैं सुबह-सुबह उदयपुर के साफ सुथरे रेलवे स्टेशन पर उतरी। थोड़ी नज़र घुमाने पर सामने ही मुझे टूरिस्ट इन्फार्मेशन सेंटर नज़र आ गया।  हैरानी की बात यह थी कि अभी सुबह के सात भी नही बजे हैं और यह टूरिस्ट इन्फार्मेशन सेंटर ना सिर्फ़ खुला था बल्कि राजस्थान टूरिज़्म डिपार्टमेंट का एक अफसर लंबी सी मुस्कान के साथ आने वाले पर्याटकों को यथा संभव जानकारियाँ उपलब्ध करवा रहा था। तो यह हुई ना बात। इसे कहते है सफ़र की शुभ सुरुवात।
मैं अपने इस दो दिन के उदयपुर के प्रवास मे यह पता लगाने की कोशिश करूँगी कि इस शहर मे ऐसा क्या ख़ास है जो इसे औरों से अलग करता है?
तो सबसे पहले जानते हैं इस शहर के इतिहास के बारे मे।


इतिहास:
सन 1553 मे महाराजा उदय सिंह ने निश्चय किया कि उदयपुर को नई राजधानी बनाया जाएगा। इसे से पहले तक चित्तौड़गढ़ मेवाड की राजधानी हुआ करता था। सन 1553 मे उदयपुर को राजधानी बनाना का काम शुरू हुआ और साथ ही सिटी पैलेस का निर्माण शुरू हुआ। सन 1959 मे उदयपुर को मेवाड की राजधानी घोषित किया गया।
उदयपुर को महाराजा उदयसिंह ने सन् 1559 AD  मे बसाया। उन्हें लेक पिछौला बहुत पसंद थी इसलिए अपने रहने के लिए पैलेस यहीं लेक पिछौला के किनारे बनवाया। इस पैलेस का आकर किसी बड़े शिप जैसा है।





दोस्तों अगर आप उदयपुर के चार्म को नज़दीक से जीना चाहते हैं तो ओल्ड सिटी मे लेक पिछौला के आस पास ही ठहरें। यहाँ आपको 5 सितारा होटल से लेकर हर बजट के होटल और होमस्टे मिल जाएँगे। मैंने भी ओल्ड सिटी का रुख़ किया।

हम अपनी यात्रा की शुरुवात जगदीश मंदिर से करेंगे। जगदीश मंदिर यहाँ का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण सन 1651 मे महाराणा जगत सिंह प्रथम ने करवाया था। जिसकी स्थापत्य कला देखने लायक़ है। मार्बल के पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियाँ एकदम सजीव जान पड़ती हैं। इस मंदिर मे भगवान जगन्नाथ की बड़ी-सी काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के प्रांगण मे ब्रास के गरुण देवता की मूर्ति भी है।

यहीं से थोड़ा आगे जाने पर सिटी पैलेस आ जाता है। सिटी पैलेस पिछली 23 पीढ़ियों से यहाँ के महाराजाओं का निवास स्थान है। जिसका कुछ हिस्सा पब्लिक के लिए खुला हुआ है, कुछ हिस्से मे होटल है और कुछ हिस्सा महाराजा का निवास स्थान है।
सिटी पैलेस मार्बल का बना हुआ एक शानदार पैलेस है जिसमे कई संग्रहालय हैं। जहाँ मेवाड राजवंश के जीवन की झलक प्रस्तुत की गई है। जो भाग पब्लिक के लिए खुला हुआ है उसके दो हिस्से हैं। मर्दाना महल और ज़नाना महल। मर्दाना महल मे कई संग्रहालय और दार्शनिक स्थल हैं जैसे, बड़ी पॉल, तोरण, त्रिपोलिया, मानक चौक, असलहखाना, गणेश देवडी, राई आँगन, प्रताप हल्दी घाटी कक्ष, बाड़ी महल, दिलखुश महल, काँच की बुरज, और मोर चौक।


जबकि ज़नाना महल मे है, सिल्वर गैलरी, आर्किटेक्चर और कन्सर्वेशन गैलरी, स्कल्प्चर गैलरी, म्यूज़िक, फोटोग्राफी, पैंटिंग और टेक्सटाइल व कॉस्ट्यूम गैलरी।
मेवाड के राज घराने के जीवन से रूबरू होने मे कम से कम दो घंटे का समय तो लगता ही है। यह एक प्राइवेट पैलेस है इसलिए इसके रख रखाव पर विशेष ध्यान दिया गया है। यहाँ अंदर जलपान की भी व्यवस्था है।
मैंने पैलेस मे घूमते हुए कई झरोखों से लेक पिछौला देखी। यह एक विशाल लेक है जिसके बीचों बीच सफेद मार्बल का एक खूबसूरत पैलेस नज़र आया मालूम करने पर पता चला कि यह जगनिवास पैलेस है जोकि अब एक 5 सितारा होटल मे तब्दील हो चुका है, ऐसा ही एक और पैलेस लेक है जिसका नाम जगमंदिर है मार्बल के बड़े बड़े हाथियों की क़तार से यह दूर से ही पहचान मे आ जाता है। अब यह भी एक 5 सितारा होटल है।
सिटी पैलेस को देखने के बाद मैं मिलने वाली हूँ सौरभ आर्या से जोकि टूरिज़्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं। तय हुआ है कि हम लाल घाट पर बने किसी रूफटॉप रेस्टोरेंट मे मिलेंगे। मैं पतली पतली गलियों से गुज़रती हुई लाल घाट की ओर बढ़ती हूँ। मैं ढलान पर हूँ और मेरे दोनो ओर पूरा का पूरा बाज़ार सज़ा है इन गलियों मे, यहाँ से आप शॉपिंग भी कर सकते हैं। कुछ ही मिनट की वॉक के बाद मे लाल घाट पहुँच जाती हूँ। यह एक खूबसूरत घाट है और मेरे सामने खूबसूरत लेक पिछौला है। मैं आसपास नज़र घुमा कर देखती हूँ। यहाँ सभी इमारतें एक जैसी हैं। और सफेद और बादामी रंगों वाली इमारतें जिनमे झरोखे बने हुए हैं। एक प्रकार की एकरूपता बनाती हैं। यह छोटे बड़े होटेल और रेस्टोरेंट हैं।
मैं सौरव से मिलती हूँ और उनसे अपना सवाल पूछती हूं-वो क्या है जो उदयपुर को और शहरों से अलग बनाता है?
सौरव कहते हैं- राजस्थान मे पैलेस और किलों की कोई कमी नही है। लेकिन लेक पिछौला सब के पास नही है। उदयपुर एक ऐसी जगह है जोकि अतीत के राजपूती वैभव के साथ नए ज़माने की आधुनिकता दोनो का सन्तुलित मिश्रण प्रस्तुत करता है। अभी आप सिटी पैलेस देख कर आई हैं जोकि राजस्थानी आन बान और शान का प्रतीक है। वहीं लेक पिछौला और उस से जुड़े घाटों पर बने रेस्टोरेंट और कैफ़े वर्ल्ड क्लास भोजन परोसते हैं। आप लेक पिछौला पर शाम को बोटिंग कीजिए और सनसेट का अद्भुत नज़ारा देखिए। फिर किसी रूफ टॉप रेस्टौरेंट मे बैठ कर लेक पिछौला पर तैरती हुई झिलमिलाती रोशनियों को देखते हुए एक हसीन शाम का लुत्फ़ उठाइए। यह कहीं और नही हो सकता। उदयपुर आने वाले पर्यटक को हर स्वाद परोसता है, दाल बाटी चूरमा से लेकर चिकेन स्टीक और लज़ानिया तक। जहाँ कॅफ और रेस्टोरेंट मे वेस्टर्न म्यूज़िक पर्यटकों का मनोरंजन करता है वहीं नज़दीक ही बाघोर की हवेली मे हर शाम राजस्थान की लोक नृत्यों की प्रस्तुति देखने लायक़ होती है।
सौरव से मिली जानकारी से मेरी विश लिस्ट तो तैयार हो गई। मैंने शाम को लेक पिछौला मे नौका विहार किया और सनसेट पॉइंट से सनसेट देखा। वाक़ई यह एक अद्भुत नज़ारा था। वापसी मे थोड़ी रात घिर आई थी और लेक पिछौला के आसमान पर चाँद भी उतर आया था। सामने सिटी पैलेस पीली रोशनियों मे जगमगा रहा था। यह बहुत सुन्दर नज़ारा है। लगता है जैसे वक़्त यहीं ठहर जाए, थम जाए। लेक पिछोला बहुत बड़ी और बहुत साफ़ लेक है।


अभी थोड़ी शाम बाक़ी थी तो मैंने बाघोर की हवेली मे होने वाले सांस्कृतिक प्रोग्राम का लुत्फ़ उठाया। घूमर, चाकरी और भंवरी नृत्य की इतनी सुंदर प्रस्तुति मैंने पहले कभी नही देखी। सिर के ऊपर 9 मटके रख कर काँच पर नृत्य करना कोई आसान काम नही है।
अगले दिन की शुरुवात फ़तेह सागर लेक पर वॉटर स्पोर्ट्स के साथ हुई। यहाँ पैरा मोटर, स्पीड बोट आदि की व्यवस्था है।
बोटिंग करते हुए मैंने अपने बोट चलाने वाले से पूछा-लेक पिछोला सबसे सुन्दर कहाँ से दिखती है?
उसने बताया - अमराई घाट से।
और मैं पूछते पूछते पतली पतली गलियों को लांघती पहुँच गई अमराई घाट। वाक़ई उसने सही कहा था। यहाँ से नज़ारा अद्भुत था। मेरे आगे लेक पिछोला का नीला साफ़ पानी और सामने सफ़ेद मार्बल वाला सिटी पैलेस और उस के बराबर बराबर क़तार में लगे लाल घाट और गणगौर घाट। किसी चित्रकार की खूबसूरत पेंटिंग जैसे। यहाँ बैठ कर कोई घंटो बिता सकता है।
यहीं मेरी मुलाक़ात हितेश जी से हुई जोकि एक इवेंट मॅनेजर हैं उन्होने बताया कि आपने एतिहासिक इमारतों पर प्रेमी प्रेमिकाओं के प्रेम की निशानी दिल और तीर के रूप मे बहुत देखी होंगी। आज मैं आपको ऐसी ही कुछ निशानियाँ दिखाऊंगा जोकि इस बात का प्रमाण हैं कि यहाँ आने वाले सैलानियों को इस जगह से प्रेम हो जाता है। हम ओल्ड सिटी मे उन जगहों पर गए जहाँ पर बड़ी ही सुंदर ग्रेफ़िटी बनी हुई थी। यह यहाँ पर आने वाले सैलानियों द्वारा बनाई गई थीं। यह एक तरीका है जिसके द्वारा लोग इस जगह से अपने लगाव को रंगों के मध्यम से व्यक्त करते हैं। उदयपुर की ओल्ड सिटी की गलियों मे ऐसी कई सुन्दर ग्रेफ़िटी देखने को मिल जाती हैं।


कैंडल लाइट की रौशनी में लेक पिछोला के किनारे किसी रूफ टॉप रेस्टोरेन्ट में डिनर करना यहाँ आने वाले सैलानियों को बहुत भाता है। इसी लिए शायद इस जगह को राजस्थान का सबसे रोमांटिक शहर कहा जाता है। यहाँ इन गलियों में आप देर रात तक बड़े आराम से घूम सकते हैं। वाकई उदयपुर सच मे एक इंटरनेशनल सिटी है। तभी तो देशी के साथ विदेशी पर्यटकों की यह पहली पसंद है।
मेरे इस दो दिन के उदयपुर प्रवास ने मुझे ढ़ेर सारे सुन्दर अनुभव दिए। अच्छे लोग, अच्छा खाना और अच्छा संगीत, यह वो तीन कारण हैं जिनके चलते उदयपुर बना मेरा पसंदीदा शहर। 
आप ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ, भारत के कोने-कोने में छुपे अनमोल ख़ज़ानों में से किसी और दास्तान के साथ हम फिर रूबरू होंगे। तब तक खुश रहिये और घूमते रहिये।
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी