कुछ पंक्तियां इस ब्लॉग के बारे में :

प्रिय पाठक,
हिन्दी के प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग पर आपका स्वागत है.….
ऐसा नहीं है कि हिन्दी में अच्छे ब्लॉग लिखने वालों की कमी है। हिन्दी में लोग एक से एक बेहतरीन ब्लॉग्स लिख रहे हैं। पर एक चीज़ की कमी अक्सर खलती है। जहां ब्लॉग पर अच्छा कन्टेन्ट है वहां एक अच्छी क्वालिटी की तस्वीर नहीं मिलती और जिन ब्लॉग्स पर अच्छी तस्वीरें होती हैं वहां कन्टेन्ट उतना अच्छा नहीं होता। मैं साहित्यकार के अलावा एक ट्रेवल राइटर और फोटोग्राफर हूँ। मैंने अपने इस ब्लॉग के ज़रिये इस दूरी को पाटने का प्रयास किया है। मेरा यह ब्लॉग हिन्दी का प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग है। जहाँ आपको मिलेगी भारत के कुछ अनछुए पहलुओं, अनदेखे स्थानों की सविस्तार जानकारी और उन स्थानों से जुड़ी कुछ बेहतरीन तस्वीरें।
उम्मीद है, आप को मेरा यह प्रयास पसंद आएगा। आपकी प्रतिक्रियाओं की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
आपके कमेन्ट मुझे इस ब्लॉग को और बेहतर बनाने की प्रेरणा देंगे।

मंगल मृदुल कामनाओं सहित
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

बुधवार, 17 जून 2015

दा ग्रेट हिमालय कॉलिंग....दूसरा दिन

इस सीरीज़ की पिछली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें:पहला दिन-दिल्ली से जिभी

The great Himalayas calling
Day-2

दूसरा दिन 

रात को बहुत अच्छी नींद आई. पहाड़ी रास्तों पर दिन भर ट्रेवल करने के बाद कहीं जंगल मे कोई आपके लिए नर्म मुलायम बिस्तर बिछाए मिल जाए तो ऐसा लगता है जैसे आप की मां खुद यहाँ आपकी थकान का अहसास करके आपके लिए बंदोबस्त करके गई हो. यह टेंट बहुत आरामदेह और सॉफ सुथरे हैं. टेक्निकली यह स्विस टेंट्स तो नही हैं पर अच्छी क्वालिटी के टेंट्स हैं. जिनमे साथ ही अटेच्ड बातरूम भी हैं. पहाड़ों की एक अच्छी बात है. यहाँ इतनी फ्रेश ऑक्सिजन मिलती है कि इंसान कितना भी थका क्यूँ ना हो सुबह उसकी नींद खुद बा खुद जल्दी खुल जाती है और थकान का नामो निशान तक नही रहता है. पंछियों की मीठी बोलियाँ आपकी नींद खोलती हैं.


Tirthan Valley

मैनें जल्दी से अपने जॅंगल बूट्स पहनेजेकेट डाली और टेंट से बाहर आ गई. कितना खूबसूरत नज़ारा था. हम जंगल के बीचों बीच थे चारों तरफ पहाड़ और उन पर पाईंन का घना जंगल. मेरे टेंट से पचास क़दम की दूरी पर बहती तीर्थन नदी. हम तीर्थन वैली मे थे. तीर्थन नदी पूरे वेग से बह रही थी. पत्थरों पर पानी का का टकराना पूरे वातावरण में शोर पैदा कर रहा था. एक ऐसा शोर जो अपनी ओर खींचता है. मैं दौड़ कर नदी के पास पहुँची. साफ पानी पत्थरों के बीच से हो कर बह रहा था. मैने ब्रिज के उपर से कई तस्वीरें लीं. यहाँ पर नज़दीक ही एक प्राचीन पनचक्की बनी हुई है. जिसमे पानी की एक तेज़ धार को रोक कर गुज़ारा जा रहा है. यह पनचक्की इस जगह के गिने चुने 4-5 घरों को बिजली उपलब्ध करवाती है. यहाँ के लोग प्राकृतिक संसाधनों का बखूबी इस्तेमाल जानते हैं. यहाँ लोग घरों की छतों पर सोलर पैनल लगवा कर सोलर बिजली खुद बनाते हैं.





पानी की अटखेलियों कई छोटे छोटे झरने बना रही थीं जैसे किसी लैडस्केप आर्किटेक्टर ने बनाए हों. पर यहाँ का लैडस्केप आर्किटेक्टर तो सबसे बड़ा डिज़ाइनर है. वही है जो रंग भरता है. यहाँ पाई जाने वाली जंगली वनस्पति भी बहुत सुंदर होती है. इसी नदी मे लोग यहाँ की मशहूर मछली-ट्राउट पकड़ने आते हैं. अगर आप फिशिंग का शौक़ रखते हैं तो आप यहाँ आकर अपने इस शौक़ को पूरा कर सकते हैं. फिशिंग के शौक़ीन देश विदेश से इस मछली को पकड़ने यहाँ आते हैं. देखा जाए तो तीर्थन वैली मशहूर ही फिशिंग के लिए है. पर याद रहे कि फिशिंग करने के लिए आपको पर्मिट लेना होता है.  और जो फिश आप पकड़ेंगे उसे वापस पानी में छोड़ना भी होगा.





हम जिस जगह पर हैं इसे जिभी कहा जाता है. इस स्थान का नाम जिभी इसके आकर के कारण पड़ा. कहा जाता है की यह जगह आकर में जीभ जैसी है. इसे शेषनाग की जीभ से मिलतिजुलती होने के कारण जिभी कहा गया है. यहाँ से सात किलोमीटर आगे बंजार वैली की ओर जाने पर एक स्थान है जहाँ पर नदी की दो धाराएँ मिलती हैं शायद इसी लिए इस स्थान को जिभी कहा गया है.



यही हमारे कैंप से थोड़ा ऊपर पहाड़ पर जा कर एक बहुत सुंदर झरना है. यह झरना जंगल के बीच मे स्थित है इस झरने तक पहुँचने का रास्ता बहुत खूबसूरत है. यहाँ बीच बीच में पानी की धाराओं को क्रॉस करने के लिए छोटे छोटे पुल बनाए गए हैं. हमने सुबह थोड़ा समय नदी पर गुज़ारने के बाद उस झरने पर जाने का प्लान बनाया. जंगल में ट्रकिंग करते हुए उस झरने तक पहुँचना बहुत आसान था.


  मुश्किल से दस मिनट की ट्रकिंग के बाद हम उस झरने तक पहुँच गए थे. हिमालय के इस जंगल मे घूमना बहुत शांति देने वाला है. ऊंचे ऊंचे देवदार के पेड़ और खूब सारी हरयाली. यहाँ पर बहुत सुंदर पक्षी भी दिखाई देते है. इस जंगल में रंगों से भरी हुई तितलियाँ भी बहुत देखी जा सकती हैं. हमने दिन मे बंजार वैली देखी और शाम को वापस आकर नदी के पास वक़्त गुज़ारा.



बंजार वैली में प्रकृति ने सुंदरता खुले हाथों बिखेरी है। तीर्थन नदी के दो अलग अलग बहाव यहाँ एक स्थान पर आकर मिलते हैं। यहाँ नदी  का बहाव बड़ा तेज़ है। लोग यहाँ ट्राउट मछली पकड़ने आते हैं। यह एक खास तरह की मछली है जोकि हिमाचल में ही पाई जाती है। यह मछली पानी की तेज़ धारा में उल्टी तैरती है। अगले दिन हमें कसोल के लिए निकलना था.


फिर मिलेंगे दोस्तों,  अगले पड़ाव में हिमालय के कुछ अनछुए पहलुओं के साथ,

तब तक खुश रहियेऔर घूमते रहिये,

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त




डा० कायनात क़ाज़ी





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