दा ग्रेट हिमालय
कॉलिंग...दसवां दिन-कसौली
The Great Himalayas Calling...
Day-10
The Great Himalayas Calling...
Day-10
इस सीरीज़ की
पिछली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें: दा ग्रेट हिमालयकॉलिंग.... नवां दिन सोलांग वैली
सोलांग वैली से लौट कर हमने पीरपंजाल
कॉटेज में आराम करने का फैसला किया। हमारी यात्रा अब समाप्ति की ओर है। लेकिन इस
यात्रा का एक पड़ाव अभी बाक़ी है। हमने लौटे हुए कसौली जाने का तय किया और एक रात
कसौली में ही गुज़ारने की सोची। ऐसा बहुत काम लोग जानते होंगे की कसौली का नाम एक
फूल के नाम पर पड़ा है। इस वैली में पाया जाने वाला एक फूल "कसूल" इसी पर
यहां का नाम कसौली पड़ा। कसौली का नाम लेते ही दिमाग में कोलोनियल स्टाइल की पुरानी
इमारतें और एक शांत हिल टाउन की तस्वीरें आ जाती हैं। आखिर कसौली क्यों है हज़ारों
लोगों की पसंद?
समुद्र तल से 5600 फिट की ऊंचाई पर बसा
एक शांत नगर कसौली, इतना
छोटा होते हुए भी सैलानियों को अपनी ओर खींचता रहा है। इसके कई कारण हैं। एक यह
चंडीगढ़ से सिर्फ 58 किमी दूर है। दूसरा यह ऊंचाई पर बसे होने के कारण वर्ष भर हरा
भरा रहता है। शायद इसीलिए इस जगह को अंग्रेज़ों ने पसंद किया होगा। और शायद इसीलिए
यह यहां पर कई फिल्मों की शूटिंग हुई है। मनीषा कोइराला और अनिल कपूर की फिल्म
1947 ए लव स्टोरी यहीं फिल्माई गई थी। प्रसिद्ध लेखक रस्किन बांड का जन्म भी कसौली
में ही हुआ था। इस छोटे से टाउन को अंग्रेज़ों ने छावनी के रूप में विकसित किया था।
फेमस सनावर स्कूल यहां से बहुत नज़दीक है। कसौली तक पहुँचने का रास्ता पहाड़ी उत्तर चढाव
से भरा हुआ है।
लेकिन पाइन के पेड़ों से आती फूलों की ताज़ी महक आपको रास्ते की थकान
महसूस नहीं होने देगी। कसौली
शहर में घुसते ही हमें एक छोटा सा बाजार दिखा और उससे थोड़ा ऊपर मॉल रोड। यह मॉल
रोड शिमला या नैनीताल के मॉल रोड जितना बड़ा बाजार तो नहीं पर एक छोटा सा बाजार
यहां भी है। माल रोड से बाईं तरफ चर्च की बिल्डिंग थी। इस चर्च का नाम क्राइस्ट
चर्च है। इस चर्च का निर्माण अंग्रेज़ों ने करवाया था। यह एक खूबसूरत ईमारत है।
मैंने चर्च को अंदर जाकर देखना चाहा पर चर्च दोपहर को 12 बजे से पहले नहीं खुलता
है। मुझे इसके लिए इन्तिज़ार करना होगा। 12
बजे के बाद मुझे चर्च को अंदर से देखने का मौक़ा मिला। यहाँ बहुत शांति थी।
कसौली में देखने के लिए कई पॉइंट्स हैं जैसे
मंकी पॉइंट। यह जगह सैलानियों को बहुत भाती है। मंकी पॉइंट एयरफोर्स स्टेशन में
बना हुआ है। जिसके लिए घूम कर जाना होता है। इस पॉइंट का नाम मंकी पॉइंट कैसे पड़ा
इसके पीछे भी एक रोचक कहानी मशहूर है। कहते हैं की जब हनुमान जी हिमालय पर्वत से
संजीवनी बूटी लेकर लौट रहे थे तब उन्होंने इस स्थान को अपने पैर से छुआ था इसीलिए
यहाँ का नाम मंकी पॉइंट पड़ गया है। मंकी
पॉइंट से घाटी बहुत सुन्दर दिखती है। कसौली में एक दुर्गा माता का मंदिर भी
है। कसौली में आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। यहां लोग पाइन फोरेस्ट में ट्रेक्किंग करना बहुत पसंद करते हैं।
अगर आप कसौली आराम करने और प्राकृतिक
सुंदरता को शांति में महसूस करना चाहते हैं तो कसौली ज़रूर जाएं यह एक सुकून भरा
टाउन है. यहां ठहरने के लिए कई होटल भी हैं। यहाँ के आसपास के गांवों में बड़ी ही
सुन्दर कॉटेज दिखाई देती हैं। यहां भी ठहरने
की व्यवस्था की जा सकती है। कसौली में ऐसी ही एक कॉटेज में रुक कर मैंने
एकांत की शांति और मीलों दूर तक फैले पहाड़ों की परतों को देखते हुए शाम गुज़ार दी।
अगले दिन हमें निकलना होगा। वापस अपनी रूटीन जिंदिगी में जाना होगा।
ब्यास सर्किट की मेरी यह यात्रा कसौली
पर आकर समाप्त होती है। हिमालय को देखने का मेरा यह जूनून ज़्यादा दिन तक शांत नहीं
रह पाएगा और फिर निकल पड़ेगा हिमालय के कुछ और नए अनछुए पहलुओं से रूबरू होने।
हमारे शास्त्रों में हिमालय को स्वर्ग का दर्जा ऐसे ही नहीं दिया गया है। यह स्वर्ग
है धरती पर।
Good job !
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