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कुछ पंक्तियां इस ब्लॉग के बारे में :

प्रिय पाठक,
हिन्दी के प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग पर आपका स्वागत है.….
ऐसा नहीं है कि हिन्दी में अच्छे ब्लॉग लिखने वालों की कमी है। हिन्दी में लोग एक से एक बेहतरीन ब्लॉग्स लिख रहे हैं। पर एक चीज़ की कमी अक्सर खलती है। जहां ब्लॉग पर अच्छा कन्टेन्ट है वहां एक अच्छी क्वालिटी की तस्वीर नहीं मिलती और जिन ब्लॉग्स पर अच्छी तस्वीरें होती हैं वहां कन्टेन्ट उतना अच्छा नहीं होता। मैं साहित्यकार के अलावा एक ट्रेवल राइटर और फोटोग्राफर हूँ। मैंने अपने इस ब्लॉग के ज़रिये इस दूरी को पाटने का प्रयास किया है। मेरा यह ब्लॉग हिन्दी का प्रथम ट्रेवल फ़ोटोग्राफ़ी ब्लॉग है। जहाँ आपको मिलेगी भारत के कुछ अनछुए पहलुओं, अनदेखे स्थानों की सविस्तार जानकारी और उन स्थानों से जुड़ी कुछ बेहतरीन तस्वीरें।
उम्मीद है, आप को मेरा यह प्रयास पसंद आएगा। आपकी प्रतिक्रियाओं की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
आपके कमेन्ट मुझे इस ब्लॉग को और बेहतर बनाने की प्रेरणा देंगे।

मंगल मृदुल कामनाओं सहित
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त

डा० कायनात क़ाज़ी

Thursday, 17 September 2015

दा ग्रेट हिमालय कॉलिंग.... नवां दिन सोलांग वैली

दा ग्रेट हिमालय कॉलिंग.... नवां दिन सोलांग वैली

The Great Himalayas Calling...

Day-09

Ropeway@Solang Valley

इस सीरीज़ की पिछली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें:दा ग्रेट हिमालय कॉलिंग... आठवां दिन मनाली

हिडिम्बा टेम्पल देखते देखते ज़ोरों की भूख लग आई। हिडिम्बा टेम्पल से नज़दीक में ही कई बेहतरीन कैफ़े और रेस्टॉरेन्ट  हैं।  हमनें पास ही के रेस्टॉरेन्ट में जाकर लंच किया और ट्राउट फिश का आनंद लिया। मनाली आएं और यहां की फेमस ट्राउट फिश टेस्ट न करें ऐसा तो हो ही नहीं सकता।

Trout fish with smoky assorted vegetables

लंच से फ़ारिग़ होते होते आधा दिन बीत चुका था। अब हमें सोलांग वैली की ओर जाना था। मनाली शहर की भीड़ भाड़ से दूर रोहतांग पास की ओर जाने वाले रास्ते पर मनाली शहर से 14 किमी दूर स्थित है।
यह स्थान मशहूर है पहाड़ की ढ़लान के लिए जहां सर्दियों में बर्फ़ पर कई स्नो गेम्स खेले जाते हैं। यहां से लोग पैराग्लाइडिंग, स्केटिंग, ज़ोर्बिंग, स्कीइंग आदि का आनंद लेने आते हैं। गर्मियों में यहां बर्फ़ तो नही होती पर हरयाली से भरे पहाड़ी ढ़लान और सुन्दर वादियां ज़रूर होती हैं।

Bridge on the way to Solang Valley

हमने बड़ी मुश्किल से मनाली शहर के ट्रेफिक से निकल कर सोलांग वैली की राह ली। सोलांग वैली तक का रास्ता सुन्दर नज़रों से भरा हुआ था। हम लगभग आधे घंटे में सोलांग वैली तक पहुंच गए थे। यह जगह भी गाड़ियों से निकलते डीज़ल के प्रदूषण से भर चुकी है। यह स्थान इतना ज़्यादा कॉमर्शियल हो चुका है कि पहाड़ों की कुदरती सुंदरता को खोता जा रहा है। हमें पार्किंग में ही गाड़ी छोड़ कर आगे जाना होगा। यहां पर एक केबल कार भी है। जो सैलानियों को पहाड़ की चोटी तक लेकर जाती है। 

Lush green mountain top at Solang Valley

यहां पहुंचने से पहले मेरे दिमाग़ में यहां की जितनी तस्वीरें थी सब बेकार हो गईं। माउंटेन बाइकिंग के ठेकेदारों ने इतनी सारी माउंटेन बाइक्स जमा कर ली हैं कि यहां के सुन्दर ढलान (स्लोप) नष्ट हो रहे हैं। इस स्थान के रख रखाव पर बिलकुल भी धयान नहीं दिया गया है। यहां पर बेसिक फैसिलिटीज भी नदारद थीं।

Ropeway & sking center at Solang Valley

इस स्थान के मुख्य आकर्षणों में एक आकर्षण है केबल कार, जिसे रोपवे भी कहते हैं। धूल और खच्चरों की फैलाई गन्दिगी से भरे रास्ते को पार कर हम रोपवे के स्टेशन तक पहुंचे। वहां एक कामचलाऊ रेस्टॉरेन्ट भी मौजूद था। जिसमे सब कुछ बहुत मेहंगा था। रोपवे के लिए हमें 500 रूपए प्रतिव्यक्ति चुकाने पड़े। लाइन में लग कर हम रोप वे से पहाड़ के टॉप पर पहुंचे। यहां का रोपवे गुलमर्ग के रोपवे से काफी बेहतर है पर मैंने इससे बेहतर रोपवे परवाणू में टिम्बरट्रैल में देखा है। रोपवे का सफर सुहाना था। हमारे चारों ओर बर्फ से ढ़की पहाड़ों की चोटियां थीं। ऊपर जाकर देखा तो खुला हुआ घांस का मैदान था।

Snow peaked mountains at Solang Valley


KK@Solang Valley

 जहां पर लोग हिमाचली ड्रेस में फोटो खिंचा रहे थे। एक रेस्टोरेंट भी था जिसके आसपास बहुत गन्दिगी थी और बदबू भी आ रही थी। हमने मुश्किल से दस मिनट वहां गुज़ारे होंगे। इस जगह को जितना शांत और सुन्दर मैंने तसव्वुर किया था, यह जगह उतनी ही बेकार निकली। अब हिमाचल टूरिज़्म को कौन समझाए कि सिर्फ विज्ञापन में चमकीली तस्वीरें छपवाने भर से काम नहीं चलता। कोई अगर हज़ारों किलोमीटर दूर से आपके प्रदेश को देखने आ रहा है तो उसकी उम्मीदों पर खरा उतरना आपकी नैतिक ज़िम्मेदारी है।

Snow peaked mountains at Solang Valley


इस सीरीज़ की अगली पोस्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें:



फिर मिलेंगे दोस्तों, अगले पड़ाव में हिमालय के कुछ अनछुए पहलुओं के साथ,


तब तक खुश रहिये, और घूमते रहिये,

आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त


डा० कायनात क़ाज़ी

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