रजिस्थानी आन बान
और शान का प्रतीक -मारवाड़ फेस्टिवल
सर्दियों की आहट के साथ
शुरू होने वाला ये फेस्टिवल पूरे सप्ताह तक चलता है। मारवाड़ फेस्टिवल हर साल
सितंबर-अक्टूबर माह में मनाया जाता है। यह हिन्दू कैलेण्डर के अश्विन माह में
मनाया जाता है। सप्ताह भर चलने वाले इस उत्सव का समापन शरद पूर्णिमा को रेगिस्तान
का द्वार कहे जाने वाले ओसिया नमक स्थान पर होता है। यह उत्सव मारवाड़ के वीरों को
समर्पित है। लोक गीत ,लोक नृत्य और रजिस्थानी संस्कृति के रंगों से
रचा बसा यह उत्सव अगर आप एन्जॉय करना चाहते हैं तो जोधपुर ज़रूर आएं।
जोधपुर रेल और सड़क मार्ग
से सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। आप अगर बाई एयर जाना चाहें तो यहाँ एयरपोर्ट भी
है। जोधपुर को अगर करीब से जानना है तो कोशिश करें की पुराने शहर में ही रुकें
यहाँ ठहरने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। पर्यटन जोधपुर की अर्थव्यवस्था का एक
अभिन्न अंग है इसलिए सैलानियों को यहाँ दिक्कत नहीं होती है। हमने कुचामन हवेली
रिसोर्ट में स्टे किया था यह एक हैरिटेज हवेली है जिसका निर्माण कुचामन के राजा ने
1864 ईसवी में करवाया था। वैसे तो इस हवेली कई खासियतें हैं पर सबसे अच्छी बात है
इसका रूफटॉप रेस्टोरेन्ट जहाँ से रात को मेहरान गढ़ फोर्ट बहुत सुन्दर दिखाई देता
है। विदेशी सैलानियों में यह हवेली बहुत पसंद की जाती है,लोनली प्लेनेट और
न्यूयॉर्क टाइम्स ने मेहरानगढ़ फोर्ट और उमेदभवन
पैलेस के बाद इस हवेली को
तीसरे पायदान पर जगह दी है।
मारवाड़ फेस्टिवल का
शुभारम्भ सिटी स्टेडियम से भव्य झाँकियों की शोभायात्रा से शुरू होता है। राजिस्थान
के अलग अलग हिस्सों से आए लोक कलाकार ऊँट गाड़ियों
पर बैठ कर गाते बजाते ,हर्षोउल्लास में
डूबे शहर का चक्कर लगते हैं. गलियों से
गुज़रती हुई इस शोभायात्रा का स्वागत लोग फूलों की बारिश करते हुए करते हैं.शाम को
नगर के बीच स्थित गुलबसागर तालाब में दीपदान किया जाता है। अगले दिन स्टेडियम में
राजिस्थान पर्यटन विभाग की ओर से अनेक प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
जिनका
उद्देश्य देसी विदेशी सैलानियों को अपने संस्कृति से रूबरू करवाना होता है साथ ही नई
पीढ़ी को अपने संस्कार, रीति रिवाज और परम्पराओं से जोड़ना भी होता है।
यहाँ बड़े ही मज़ेदार प्रतियोगिताएँ sहोती हैं जैसे
पगड़ी बांधना,रस्साकशी,मिस्टर मारवाड़,मिसिज़ मारवाड़ ,बेस्ट परम्परागत
पोशाक, सबसे लम्बी मूँछों की प्रतियोगिता आदि।
स्थानीय
लोग व सैलानी बढ़-चढ़ कर इन
प्रतियोगिताएं में भाग लेते हैं। अगले दिन शाम को प्रसिद्ध घण्टाघर पर सूफी संगीत
का आयोजन होता है। ब्रज से आए मशहूर फूलों की होली का रास भी दिखाया जाता है। अगले
दिन मेहरानगढ़ फोर्ट में लोक कलाकार कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।
पूरे सप्ताह चलने
वाले इस महोत्सव का समापन जोधपुर से 70 किमी दूर स्थित ओसिया नामक स्थान पर रूरल
ओलम्पिक्स और सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ होता है। ओसिया को थार रेगिस्तान का द्धार कहा जाता है।
ऊँचे ऊँचे रेत के टीलों पर गाँवो
के लोग आकर बैठ जाते हैं और पूरी रात इन कार्यक्रमों का मज़ा लेते हैं। ओसिया में
ओसवाल समाज की कुलदेवी ओसिया माता का मंदिर है
ये मन्दिर अपनी स्थापत्य
कला के कारण राजिस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है। यह जगह मसालों के लिए
प्रसिद्ध है. मारवाड़ फेस्टिवल देखने जाएं तो कुछ दिन जोधपुर और आसपास की
जगह देखने के लिए भी रखें। जोधपुर और उसके आसपास की जगह घूमने के लिए इन्तिज़ार
कीजिये मेरी अगली पोस्ट का.
तबतक घूमते रहिये, खुश रहिये
" सैर कर दुनियाँ
की ग़ाफ़िल ज़िंदिगानी फिर कहाँ
ज़िंदिगानी गर रही तो
नौजवानी फिर कहाँ "
आपकी हमसफ़र आपकी दोस्त
डा० कायनात क़ाज़ी
waah bahut sundar .. bahut hi interesting laga
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